Kajol Ki Choot Chudai Katha हाय मेरा नाम प्रेम है और मैं राजकोट, गुजरात से हूँ। यह कहानी मेरे मित्र की बहन काजोल के कौमार्य भंग करने की है। अगर आप सोच रहे थे कि यह कहानी फिल्म अभिनेत्री काजोल देवगन Kajol Devgan जो तनुजा Tanuja की बेटी है, उसकी है तो आप गलत सोच रहे थे! क्या माल है वो… बर्फ़ की चादर से सफ़ेद शरीर में पर्वत से दो उन्नत शिखर हिमालय की तनी हुई चोटियों की भांति खड़े हुए हैं। उसका भरा हुआ जिस्म जैसे सिर्फ चुदने के लिए ही बना हो.. 36-28-34 का उसका कटाव भरा जिस्म देखते ही लंड से पानी छूट जाता है।
सौभाग्य से वो मेरी गर्लफ्रेण्ड है और मैं उसका आशिक हूँ.. मेरा मन बार यह कहता था कि इसको चोद डाला तो लाइफ़ झिंगालाला.. काजोल की सील उसके स्कूल के दिनों में ही टूट चुकी थी.. वो भी एक पिकनिक में गणित के टीचर के गुणा-भाग के साथ.. मैं आपके लिये आगे की कामकथा काजोल के ही शब्दों में लिखता हूँ.. आप आनन्द लीजिए.. और अच्छी लगे तो.. मूठ भी मार सकते हैं। हाय मैं काजोल.. आज मैं आपको अपनी पहली चुदाई का अनुभव सुनाना चाहती हूँ। मैं उस समय स्कूल में थी और पढ़ाई में साधारण थी लेकिन मेरे आगे लड़कों की लाइन लगती थी। पर मेरा एक ही ब्वॉय-फ्रेंड था जिसका नाम था समीर और वो हर रोज मेरे मम्मे दबाता था और चुम्बन करता था। क्या मर्दाना जिस्म था उसका.. हाय.. मेरी चूत की फांकें फड़क उठती थीं। यह कहानी तब की है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़ती थी और हमारे स्कूल से अहमदाबाद साइन्स सिटी में एक पिकनिक थी। उसमें ग्यारहवीं कक्षा के तीन क्लास के छात्र जाने वाले थे। उसमें दो समूह लड़कों के थे और एक लड़कियों का था। हम सुबह सात बजे दो स्कूल बसों में राजकोट से निकले और दोपहर को करीब ग्यारह बजे वहाँ पहुँच गए। साइन्स सिटी पहुँचने के बाद हमारे साइन्स टीचर हमें एक-एक के बारे में मॉडल समझा रहे थे लेकिन सभी अपनी मस्ती में मशगूल थे। समीर पीछे से अपना हाथ मेरी पिछाड़ी में फिरा रहा था। बाद में खा-पी कर हम गार्डन में खेल रहे थे, तभी समीर ने आकर मुझसे कहा- सेक्स करना है.. चलो बस में कोई नहीं है.. पाँच-दस मिनट में निपट कर वापस आ जायेंगे.. किसी को पता नहीं चलेगा। मैंने कहा- तुम जाओ.. मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आती हूँ.. ताकि किसी को शक न हो। हम दोनों चुपके से बस में चढ़ गए और एक-दूसरे से चिपक कर चुम्बन करने लगे। वो मेरे मम्मे ऐसे दबा रहा था कि जैसे मैं उसके बाप का माल हूँ। मैंने भी जोश में आकर उसका लन्ड पैन्ट के बाहर से ही पकड़ लिया। वो मेरे कपड़े उतार रहा था तभी मेरी नजर हमारे गणित के सर पर गई जो खिड़की से हमारी कामलीला का एमएमएस बना रहे थे। मेरे तो पसीने छूट गए थे। तभी सर बस के दरवाजे से बस में अन्दर आ गए। मैं केवल ब्रा और पैन्टी में थी और समीर जीन्स पहने हुआ था। सर आकर बोले- तुम्हारी ये हरकतें इस एमएमएस के द्वारा अब प्रिंसीपल के पास जायेंगी और अब तुम दोनों को स्कूल से निकाल दिया जाएगा। यह सुनते ही मेरी आँखों से आँसू बहने लगे.. मैं रोने लगी और सर को मनाने लगी- मुझसे गलती हुई है.. अब कभी नहीं होगा.. तभी समीर हँसने लगा। मैं यहाँ रो रही थी और समीर को हँसता देख कर मैं चौंक गई। तभी सर भी हँसने लगे.. अब मुझे पता चल गया था कि समीर और सर ने मिल कर मुझे फंसाया है। सर मेरे पास आकर मेरी कमर में हाथ रख कर बोले- बिना कपड़े में तो तुम पोर्नस्टार लग रही हो.. भगवान ने भी क्या इकलौता पीस बनाया है। इतना कहते ही उनका हाथ मेरे चूतड़ों पर घूमने लगा और उनका मुँह मेरे मुँह के पास आ कर मेरी जीभ पर आकर थोड़ा अटका और अपने हाथ से मुझे पीछे से धक्का दे कर अपने शरीर से चिपका लिया। मैंने भी सोचा कि अपने को तो चुदाई के काम से मतलब.. कौन चोद रहा है उससे क्या लेना देना.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! अब मैं भी बिंदास हो कर सर का साथ चूमने में देने लगी। उनका हाथ मेरे मम्मों को निचोड़ रहा था और समीर खड़े-खड़े ही मजा ले रहा था। तभी सर ने मेरी ब्रा उतार कर फेंक दी। अब मेरे दोनों कबूतर उछल कर खुले वातावरण में आ गए थे.. तभी सर ने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी। मैं तो अभी उनकी मस्त बॉडी देख रही थी.. तभी उन्होंने मुझे धक्का मार के सीट पर गिरा दिया और अपनी पैन्ट निकालने लगे.. और मैं भी अपनी पैन्टी उतारने लगी… सर एकदम से मुझ पर चढ़ गए और मेरे पूरे जिस्म को रगड़ने लगे। मेरी चूत अब गीली होने लगी थी इसीलिए सर ने अपना लन्ड हाथ में लिया और मेरे मुँह में डालने लगे। मैंने मना कर दिया और कहा- मुझे लन्ड चूसना अच्छा नहीं लगता.. मैं नहीं चूसूँगी। सर- तू अपनी रानी है.. तुझे नहीं पसन्द.. तो मैं भी जिद नहीं करूँगा.. पर अब तेरी सील को तो टूटना ही होगा। सील टूटने की बात सुनते ही मेरा मुँह बिगड़ गया क्योंकि मैंने सुना था कि इसमें बहुत दर्द होता है और खून भी निकलता है। तभी सर ने एक क्रीम निकाल कर मेरी चूत पर लगाने लगे और कहा- इससे दर्द कम होगा। पास में खड़ा समीर भी हँसने लगा और अपना मोबाइल निकाल कर वीडियो बनाने लगा.. सर अब मुझ पर लेट कर मेरे मुँह पर अपना मुँह रख कर चुम्बन करने लगे और अपना लन्ड मेरी चूत पर सैट कर दिया और मेरी चूत पर धीरे-धीरे लंड को फिराने लगे। और अचानक… मेरे मुँह से एक जोर की कराह निकल पड़ी- आआ.. हहाह.. ह्ह्हाहह्हाह.. लेकिन वो आवाज सर के मुँह में ही दब कर रह गई और सर ने मेरी चूत में अपना लन्ड धीरे-धीरे करके पूरा पेल दिया और अन्दर-बाहर करने लगे मैं पहले तो बहुत पीड़ा झेलती रही फिर मुझे स्वर्ग में पहुँचने जैसा अहसास होने लगा। पाँच मिनट के बाद ही मैं झड़ गई.. लेकिन सर ने अन्दर-बाहर चालू रखा और मेरे मुँह से निरंतर ‘आ.. आह्ह..अआह’ निकलता रहा । और तभी सर ने अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया। अब सर ने निढाल होकर अपना पूरा शरीर मुझ पर रख दिया और मुझ पर ही ढेर हो गए। कुछ पलों के बाद सर खड़े होकर मेरे गालों पर चुम्बन करके अलग हो गए… वे अपने कपड़े पहनने लगे और समीर से कहने लगे- अब समझ तू पास हो ही गया… उन्होंने अपने पर्स में से पाँच हजार निकाल कर समीर के हाथ में थमा दिए। अब मुझे समझ में आ गया था। तभी समीर ने अपनी पैन्ट निकाल कर अपना लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया और मुझे धकाधक से चोदने लगा.. मैं उससे कुछ और नहीं कह सकी… समीर ने भी मुझको जी भर के चोदा… बाद में हम कपड़े पहनने के बाद बस में से उतर कर अलग-अलग दिशा में जाने लगे ताकि किसी को शक न हो। अब मेरा पूरा जिस्म दर्द कर रहा था.. लेकिन आज मेरा चुदने का सपना भी पूरा हुआ था… कैसी लगी आपको काजोल की कहानी, अपने विचार इस ईमेल पर भेजें।
Mama ki Naukrani ki Choot Chudai हैलो दोस्तों मेरा नाम सिद्धार्थ है। मेरी उम्र 21 साल है। मुझे इंदौर आए अभी कुछ ही दिन हुए.. यहाँ मैं अपने कुछ जरूरी काम से आया हुआ हूँ। क्योंकि कुछ ही दिन का काम है और इंदौर में मेरे मामा भी रहते हैं तो फिलहाल मैं उन्ही के घर ठहरा हूँ। मामा अक्सर बाहर ही रहते हैं और मामी इन दिनों अपने मायके गई हुई हैं। घर में सिर्फ नानी और मामा का लड़का रहता है, नानी बीमार रहती हैं तो अक्सर आराम करती रहती हैं। यह किस्सा जो मैं आपको सुना रहा हूँ, कुछ ज्यादा दिन नहीं.. बस दो दिन पुराना है। मामा का लड़का स्कूल गया हुआ था और और नानी आराम कर रही थीं।
मैं भी उस दिन फ्री ही था.. सुबह का वक़्त था.. यही कोई 8.30 बजे होंगे। इस समय एक नौकरानी आती है और झाड़ू आदि लगाती है। उसने दरवाजे पर दस्तक दी मैं समझ गया कि वाही आई होगी.. मैंने दरवाज़ा खोला और वो अन्दर काम करने आ गई। मैं अपने लैपटॉप पर फिल्म देख रहा था। मेरा मन उस नौकरानी को देख कर ही मचल गया था। काले ब्लाउज और सफ़ेद साड़ी में वो बड़ी ही बेहतरीन माल लग रही थी। वो बेहद खूबसूरत और जवान थी। उसकी उम्र यही कुछ 26 साल करीब होगी। जब वो मेरे कमरे में आई तो उसके स्तन मुझे उसके ब्लाउज से झांकते हुए दिखे। उसके उभारों में इतनी गोलाई थी कि मैं उनमें ही खो गया। नानी उसे कावेरी बाई कह कर पुकारती थीं.. किसी नदी के मचलते पानी की तरह ही उसका बदन था.. बिल्कुल लचीला.. हर तरह के सांचे में ढल जाए मानो… मुझे तो उसने अपनी खूबसूरती का कायल ही कर दिया था। जब मेरी नज़र उसके ब्लाउज से झांकते स्तनों को निहार रही थी.. तब कावेरी की नज़रें मुझे ये चोरी करते देख चुकी थीं और वो मेरे इरादे भांप गई थी। इसलिए उसने अपने साड़ी का पल्लू ठीक किया और मुँह घुमा कर झाड़ू लगाने लगी.. लेकिन फायदा क्या?? अब मुझे उसके चूतड़ नज़र आ रहे थे। क्या उभरे हुए चूतड़ थे उसके.. मैं तो देखते ही मानो पागल हो गया था। मैंने अपना मन बना लिया था कि आज घर पर भी कोई नहीं है और नानी भी सो रही हैं तो कावेरी के साथ कुछ न कुछ हो ही जाए। वो मेरे कमरे से जा चुकी थी और मैं अपना मन बना कर रह गया। उसके बदन की मादक नक्काशी ने मानो मेरे मन में कई मीनार बांध दिए थे। मैं अपने लण्ड को शांत नहीं कर पा रहा था पर फिर नौकरानी भी तो इंसान ही है ना उसे भी वही सारी चीजें मिली हैं जो दूसरी लड़कियों के पास हैं और फिर उसके इतने सुन्दर और इतने गठीले जिस्म को देख कर किस का मन नहीं होगा उसे गन्दा करने को… मुझे अपने लण्ड को आज तो उसकी चूत में डाल कर पवित्र करना था.. मेरे तन्नाए हुए लौड़े को कावेरी की जवानी का रस चखना ही था। ऐसा लगता था कि अब मेरे इस लंड का यही उद्देश्य रह गया था। कावेरी मेरे कमरे से निकल कर बर्तन मांजने लगी थी। उसे दूसरे घर भी काम करने जाना था। जब वो बर्तन घिस रही थी तो अपने चेहरे पर आते बालों को कलाइयों से हटाती जाती.. उसके बर्तन घिसने से हिलते हुए वक्ष मुझे और कामुक कर रहे थे। मैंने आव देखा न ताव और पीछे से जा कर उसके स्तनों को पकड़ कर चूचियाँ अपनी मुट्ठी से भींचने लगा। अपना लण्ड उसकी गांड को चुभाने में मज़ा आ रहा था.. उसने तनिक विरोध किया तो मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से रोक लिया और चूमने लगा, धीरे से उसे अपनी तरफ घुमाया और तेज़ी से उसके वक्षों को ब्लाउज से आज़ाद किया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। वो मुझे रोकने लगी तो मैंने उसे कहा- चुप रहो और मज़ा लो। मैंने धीरे से उसकी साड़ी ऊँची कर अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी। मैं उसे नंगा करने लगा.. तो वो बोली- कोई देख लेगा… वो विरोध करने लगी.. उसका विरोध मैं निरंतर अपने होंठों को उसके होंठों पर चिपका कर रोक रहा था। वो नंगी हो चुकी थी और अब चुदने का मन भी बना बैठी थी। मैं उसे नंगी ही अपने कमरे में ले गया और उसके बदन को गद्दा समझ उस पर चढ़ गया। उसकी चूचियाँ मानो जैसे आइसक्रीम का स्वाद दे रही थीं। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को छेड़ना शुरू किया और फिर उसने भी मेरा लण्ड मुँह में लेकर बहुत देर तक चूसा। एक बार तो मैं उसके मुँह में ही झड़ गया.. फिर मैंने धीरे से अपने लण्ड को कावेरी की चूत के मुहाने पर रख कर अन्दर सरकाया और धीरे-धीरे चुदाई आरम्भ की.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। उसकी ‘आह.. आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. ह्हाआआऐईईई’ मुझे और ताकत दे रही थी। मैं अपनी रफ़्तार से कहीं ज्यादा रफ़्तार रख कर उसे चुदाई की शांति दे रहा था और वो और कामुक होती जा रही थी। उसकी चुदाई की आग का वहशीपन बढ़ता ही जा रहा था। मैंने भी अपनी पूरी ताकत लगा कर उसकी वासना को ठंडा किया। कुछ देर उपरान्त झड़ने के बाद हम दोनों नंगे पड़े रहे। उसने कहा- तुमने आज बहुत समय लिया और मुझे दूसरे घर काम करने जाना था.. मेरे घर की हालत ख़राब है मुझे पैसों की ज़रूरत है। मैंने उसकी पूरी आपबीती सुनी और उसे कुछ पैसे दिए। अब वो और मैं रोज़ चुदाई करते हैं। मेरा मन तो कर रहा है कि मामा के घर से जाऊँ ही नहीं.. पर जाना तो पड़ेगा ही। इतनी खूबसूरत चुदक्कड़ हुस्न की मालकिन मैंने आज तक नहीं देखी.. हाँ उस हुस्न की परी से वक़्त-वक़्त पर आने का वादा ज़रूर करके जाऊँगा… दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे जरूर बताइएगा।