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मेरा नाम Sex मोनालिसा है

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मेरा नाम Sex मोनालिसा है और में अहमदाबाद की रहने वाली हूँ। Story दोस्तों में आज आप सभी के सामने अपनीएक सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ, लेकिन सबसे पहले में http://moviesonlineerotic.blogspot.in/ कोबहुत बहुत धन्यवाद देना चाहती हूँ जिससे हम जैसे लोगों को अपनी कहानी शेयर करने का मौका मिलता है। दोस्तों में खुद भी इस साईट को पिछले कुछ सालों से रोजाना पढ़ती आ रही हूँ, अब तक मैंने इसकी बहुत सारी सेक्सी कहानियाँ पढ़ी है और बहुत मज़े किए है। तो चलोअब ज्यादा टाईम खराब ना करते हुए में अपना पूरा परिचय आप सभी से करवा देती हूँ। दोस्तों मेरा नाम मोनालिसा है और में अभी तक कुंवारी हूँ और अहमदाबाद की रहने वाली हूँ। में एक सामान्य सी, लेकिन सेक्स की बहुत भूखी लड़की हूँ और मेरी उम्र 21 साल है। मेरी एक ही सबसे बड़ी कमजोरी है और वो है सेक्स। दोस्तों यह उन दिनों की बात है जब में 12th क्लास में थी और अपने कुछ जूनियर्स को फ्री में गणित की ट्यूशन दिया करती थी क्योंकि में इन कामों के आलावा पढ़ाई में भी बहुत अच्छी हूँ।दोस्तों कुछ समय पहले मेरे पड़ोस में एक लड़का रहता था, उसका नामराज था। वो दिखने में बहुत ही ज्यादा अच्छा था और में हमेशा से उसे चाहती थी कि उसके जैसा लड़का कभी मुझे चोदे और हम दोनों उस समय एक ही स्कूल में जाते थे इसलिए हमारे बीच में कभी कभी थोड़ी बहुत बातचीत हंसी मजाक भी हुआ करता था। दोस्तों में पिछले कई दिनों से कोई अच्छा मौका ढूंड रही थी कि कभी मुझे उसे अकेले में मिलने का कोई मौका मिल जाए ताकि में उसे अपनी तरफ आकर्षित करके अपनी साईड ले सकूं,क्योंकि दोस्तों में आप सभी को बता दूँ कि में इस काम में बहुत ही ज्यादा माहिर हूँ और फिर एक दिन मुझे वो अच्छा मौका मिल ही गया। दोस्तों मेरे मम्मी, पापा दोनों ही नौकरी करते है तो उसकी वजह से अक्सर सुबह 9-10 बजे तक हमारा पूरा घर खाली हो जाता था और में घर पर पूरा दिन भर अकेली रहती थी।एक दिन ऐसे ही बालकनी में बैठी हुई थी कि तभी राज ने मुझे आवाज़ दी औरफिर राज ने मुझसे कहा किआप तो गणित में बहुत अच्छी हो ना और मेरी गणित बहुत कमजोर है क्या आप मुझे सिखाओगे? बस फिर क्या था। मैंने मन ही मन बहुत खुश होकर बिना सोचे समझे मौके पर चौका लगा दिया और अब मैंने उससे कहा कि ठीक है तू आधे घंटे में मेरेपास आ जाना। मेरी तो खुशी का अब कोई ठिकाना ही नहीं था। मैंने फटाफट अपने रूम का सभी इधर उधर बिखरा हुआ सामान ठीक किया और एक मस्त सी नीले कलर की वन पीस पहनी जो में हमेशा रात को सोते टाईम पहनती हूँ और अब में उसका बहुतबेसब्री से इंतजार करने लगी। तभी मुझे दरवाजे पर लगी हुई बेल की आवाज़ आई तो मैंने दरवाज़ा खोला और देखा कि बाहर वो खड़ा हुआ था। वो मुझे उस ड्रेस में देखकर थोड़ा सा हैरान हुआ, लेकिन वो कुछ नहीं बोला, वो बस चकित होकर मुझे देखता रहा। फिर मैंने उससे कहा कि बस ऐसे देखते ही रहोगे या फिर अंदर भी आओगे? मैंने उसे अंदर बुलाया और अब वो सोफे पर बैठ गया, लेकिन उसकी नज़र बार बार मेरे बूब्स और पैरों की तरफ जा रही थी।दोस्तों में आप सभी को बता दूँ कि मेरे बूब्स का साईज़ 34 है अब तो आप समझ ही गये होंगे कि मेंएक्सपर्ट क्यों हूँ? में भी उसकी नज़रों से अब समझ गई कि उसको भी कुछ कुछ हो रहा है। मैंने उसे पानी दिया और दरवाज़ा बंद कर दिया में उसके पास जाकर बैठ गई और मैंने उससे कहा कितुम मुझे बताओ कि तुम्हे क्या दिक्कत है?अब वो धीरे धीरे व्याकुल होने लगा था, क्योंकि में उसके पास बैठी हुई थी और में अपनेपैर उसके पैर से टच कर रही थी और साथ ही अपने बूब्स को उसके सामने प्रदर्शित करने लगी। मैंने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी तो इसलिए मेरे थोड़ा सा हिलने पर भी बूब्स ज़ोर ज़ोर से हिलरहे थे। फिर हमने अपनी पढ़ाई शुरू की और में किसी ना किसी बहाने से उसकी तरफ पूरा झुक रही थी।फिर आधे घंटे के बाद उसने मुझसे कहा कि मोना बहुत भूख लग रही है, क्या कुछ खाने को मिलेगा? तो में उठकर किचन से चिप्स और बिस्किट्स लेने चली गई। इतनी देर में अचानक मुझे राज ने पीछे से आकरएकदम से टाईट पकड़ लिया ऊफफफ्फ़ वाह यार क्या अहसास था वो? में मुड़ी और वो मुझे पागलों की तरह किस करने लगा। मैंने उसे रोका और कहा कि राज तुम जानते हो कि क्या कर रहे हो? तो वो बोला कि अच्छा क्यों कमीनी अब तू ज्यादा भोली बन रही है? मुझे पिछले आधे घंटे से तड़पाकर खुद मुझे देखकर बहुत मज़े ले रही थी। उसके मुहं से यह बात सुनकर तो बस में और भी मूड में आ गई और में भी उसे पागलों की तरह किस करने लगी। वाह क्या अहसास था मुझे ऐसा लग रहा था कि हम दोनों प्यासे बस इसी एक चीज़ के लिए बेकरार थे और अब हम बिल्कुल पागल हुए जा रहे थे। उसने मुझे किचन प्लेटफॉर्म पर बैठा दिया और पागलों की तरह मेरे बूब्स दबाने लगा और में उससे कहने लगी अहआहहह उह्ह्हह्ह्ह्हचूतिये इतनी ज़ोर से क्यों दबा रहा है? अहहह्ह्ह ऊउईईईइ माँ थोड़ा धीरे दबा। फिर राज बोला कि अभी तो शुरुवात है जानेमन और वो मेरे बूब्स को कपड़े के ऊपर से ही दबा रहा था। अब में भी धीरे धीरेपूरी तरफ से मदहोश हुई जा रही थी। उसने मेरे सभी कपड़े एक एक करके उतार दिया और पागलों की तरह मुझे चूमने लगा और में अह्ह्ह्हह् अईईईई राज कमीने और ज़ोर से अहहह्ह्ह काटो मेरे बूब्स को, राज काटो प्लीज। वो पूरे जोश में आकर जानवर की तरह मेरे दोनों बूब्स को काटने लगा और में भी उसके कान काट रही थी जिसकी वजह सेउसे बहुत मज़ा आ रहा था।फिर उसने मुझे प्लेटफॉर्म से नीचे उतारा और हम फिर किस करने लगे, हम एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। दोस्तों में आप सभी को शब्दों में क्या बताऊँ कि ऐसा करने पर कितना मस्त लगता है? आप भी एक बार ऐसा जरुर करना। अब में उसके कपड़े निकालने लगी और उसकी पेंट को निकालते ही मैंने उसका लंड मुहं में ले लिया और में अब उसे चूसने लगी ह्म्म्म्ममम वाह क्या स्वाद था? वो तो और भी जोश में होने लगा था और उसने मेरे बाल खींचकर मुझे उठाया और बोला कि कुतिया तुझे सारा मज़ा यहीं पर लेना है क्या? बता बेडरूम कहाँ है? वो अब मेरे पीछे खड़ा होकर मेरे बूब्स पर हाथ रखकर उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और बोला कि चल और अब हम धीरे धीरे आगे बड़ते गये और बेडरूम में पहुंचते ही उसने बेड को देखते ही मुझे उस पर एक ज़ोर से धक्का दे दिया औरफिर बोला कि अब तो तू गई साली, तू मुझे बहुत दिखारही थी ना, अब में तुझे बताता हूँ कि अपनी तरफ आकर्षित करना क्या होता है? तो वो मेरे ऊपर आ गया और मेरे बूब्स को दबाने लगा। में बिल्कुल पागल हुई जा रही थी, क्योंकि आज तक किसी ने मेरे बूब्स को इस तरह से दबाकर मुझे ऐसा मज़ा नहीं दिया था। में अब उससे कहने लगी हाँ आआआआआआहह राज आईईईईईई अहह्ह्हह और ज़ोर से चूसो इन्हें और ज़ोर से। अब वो मेरी चूत पर हाथ घुमाने लगा आहह्ह्ह्हह क्या मज़ा आ रहा था? राज प्लीज एक बार इसे मेरी चूत को चाटो ना, प्लीज राज।फिर उसने मेरी बात फट सेमान ली अहहाआ हाँ ऐसे ऊओह हाँ और ज़ोर से राज ओह्ह्हह ऊईईईईइ माँ वो बस अब मेरी चूत में जैसेपूरी तरह घुस ही गया था।वो करीब 15 मिनट तक लगातार मेरी चूत को चाटता रहा और में भी अब पूरे जोश में आ गई और अब हम 69 पोज़िशन में आ गये और में उसके लंड को मुहंमें लेकर मस्ती कर रही और वो मेरी चूत में उंगली करने लगा। में बिल्कुल पागलों की तरह उसके लंड को चूसने लगी ऊउईईईई उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़वाह दोस्तों क्या स्वाद था? मुझे वो स्वाद और भी पागल बना रहा था। उसे भी इतना मज़ाआने लगा कि वो भी मेरी चूत में उंगली करते हुए मुहं से आवाज़े निकालने लगा अहईईईईईईईईईईई कमीनी और ज़ोर से चूस ले अंदर और ले कमीनी आईईईई आहहह हाँ कुतिया और अच्छे से अब तू ही मेरी रंडी है। में करीब बीस मिनट तक लगातार उसका लंड चूस रही थी, लेकिन फिर उसे अचानक से जोश आया और अब वो मुझे सीधा लेटाकर मेरे बूब्स को दबाने लगा।अब वो फिर से मेरी चूत को अपनी जीभ से चोदने चाटने लगा तो मैंने उससे कहा कि अब बस करो, इसे किसी आम की तरह चाटते ही रहोगे क्या? अब जल्दी से आ जाओ राज हम दोनों बहुत प्यासे है, अब तो मुझे चोद डालो। दोस्तों फिर क्या था मेरे इतना कहने पर ही उसने अपना पूरा लंड एक ही जोरदार धक्के के साथ मेरी चूत में घुसा दिया आहहह्फ्फ्फ्फ़ माँ क्या एक ही बार में पूराघुसा दिया आईईईईईई। वो मुझे अब बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा और में कुछ देर बाद उसके लंड के मज़े लेने लगी। हाँ और ज़ोर से चोदो मुझे, साले कमीने तेरे लंड में क्या जान नहीं है? हाँ और ज़ोर से कर चूतिए हाँ और ज़ोर से उह्ह्ह्हह्ह्ह्हह ऊईईईईई। मेरे मुहं से यह बात सुनकर उसको भी ज्यादा जोश आ गया और वो मुझे ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा वैसे मुझे वही लड़के पसंद है जो जोश में आकर ज़ोर ज़ोर से चोदते है आहहह हाँ राज और ज़ोर से हाँ राज ऊहहह्ह्ह हाँ आहहहह और अंदर और अंदर डालो, चोद डालो मुझे, फाड़ दो आज मेरी चूत को। दोस्तों हम करीब 45 मिनट तक अलग अलग पोज़िशन में सेक्स करते रहे और मुझे उसकी चुदाई में बहुत मज़ा आया और उस दिन के बाद से हम जब भी मौका मिलता हम एक दूसरे के साथ पूरे जोश में सेक्स करते। इसी बीच मैंने अपने कई सीनियर्स के साथ भी बहुत बार सेक्स किया और अब मेरा एक बॉयफ्रेंड भी है, लेकिन थोड़ा लंबी दूरी की वजह से हम सेक्सचेट ही कर पाते है। वैसेउसे मेरे किसी दूसरो के साथ सेक्स करने से कोई भी आपत्ति नहीं है और नाही मुझे कि अगर वो भी वहां पर किसी के साथ सेक्स करे। वैसे भी तो बाकी सभी अपनी सेक्स की कमी को पूरा करने के लिएकरते ह
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Mast kahaniya

Hello dosto mera name honey ha or me punjab sae hu eh meri paehli kahani ha jisko me aap sab k sath share karna chata hu eh xstory meri or meri cousin sister ki ha meri umar abhi 24year ha or meri bhen ki umar abhi 22ki ha eh xstory aaj sae 1saalpahle ki ha or baato baato me apko baatna he bhul gayea ki meri bhen bht sundr ha thori moti ha per bht sexy ha uski gand thori bhar ko uthi huyi ha or boobs jiska size 34hoogaa kulmila kar bht sexy ha to aab sihda story pae aata hu to jab ek saal pahle me apni study puri kar k ghar vapis gayea to muje sab logo ne bht pyar diya kyu ki me 2saal baad vapis ghar aayea thaaor esi bich meri bhen be mujse milne aayi me to usko dekhta he rahe gayea or uske boobs or uthi he gand me he khaao gayea fir hamne thora time baat ki or vo apne ghar vapis chalu gayi or usko yaad karke mainu raat to muth mar kar sooo gayea fir subha sabhi log sath me the or kahi ghumne kaa program bnaa rahe thae to maine maana kar diya ki aap log jaao or enjoy karo mera man nai ha kahi jahne ka or fir sham ko pata chala ki meri bhen amrit uske school sae koi letter aayea ha kiuska koi house exam start hone wala ha or fir sab log program cancle karne lagge tabhi maine khaaa ki aap log jaaao me hu na amrit k sath to papa or chachu maan gaye or un logo ne sab kuch final kar diya or agli subha sabhi jaldi jaldi k ghar sae chale gaye or fir morning 9vje chuke the oramrit ne muje aa kar uthyea or me usko nyt suit me dekh kar pagal saaaa ho raha thaaaa or voooo be mere lund ko dekh rahi thi jooo underwerar me khaara thaa or fir usne bola aap washroom jaaa aao me breakfast ready karti hu or fir me bathroom me jaaaa kar muth mar kar vapis aaa gayea hamne sath me breakfast kiya or fir tv dekhne lage or hmmm dono eksath chipak kar baethe tae or movie dekh rahe the or usi time movie me sex scene or kissing scene start ho gaye or amrit ne bola ki bahiyea plzzzz channel change karo na to maine khaaa ki kyu kyaaa huaaaaa tousne khaaaa cheeeeee itne gande scene aaa rahe ha or fir usne meri taraf dekh karmuh dusri taraf kar liya or muje phuchne lagi ki bahi apki koi gf ha to maine khaaa hmmm ha to voo boli kya apne kabhi uske sath kiss kiya ha to maine khaaa hmmmmmkafi bahr to fir me bola kyu tum kyu phuch rahi ho to usne bola ki jab kiss karte ha to kasia feel hota ha jab usne es tarah bola thaaaaa maine mooke ka faieda utha kar bola ek shart per baato ga to vooo boli kya ki tu kisi ko kuch nai bole gayi to usne khaaa ki thik ha me kisi kooo kuch nai khao gayi. 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Hindi Sex meri ye Stories

Hindi Sex meri ye Stories bilkul real hai aur koi bhi edition nahi hai shyad is liye thodi lambi. Hai par kahi aap bor nahi hoge.Mujheschool ke time se hi naye dost banane ka bahut shouk hai aur meri kai ladkiya dost hai par aab meri shaadi ho chuki hai par aajbhi mujhe ye shouk hai aur bhi kai ladkiya meri dost hai kuch real kuch mobile par. Yane baat to hoti hai par mulakat kabhi nahi hui real aur aachi dosto me ek thi Priya jiski umar karib 23-24 yr thi jo ki mere sahar me rahti thi maine MP me Indore ke pass ek sahar ka rahne wala hu Halaki Priya us ka naam nahi hai ye naam maine use pyaar se diya jo use bhi bahut pasand hai wo ek private office me job karti thi aur us ki hight karib 5.5″ hogi midium body black hair badi badi aankhe aur bade bade boobs jiski size 34 thi ye isliye malum hai maine ek baar Priya se us ki BRA ka No.pucha tha waise hamri is pakar ki baate nahi hoti thi aur home dono bus aache dost the maine us ke ghar bhi aata jata tha koi problam nahi tha.Ek din Priya ka Phone aaya ki us me Indore me ek MNC me apna resum file kiya tha jo ki OK hogaya thai aur Use Indore Intarwive ke liye jana hai aur use wo job mil gai aur wo Indore chali gai aab hamra milna to band hogaya par phone me hum roj baat kar the aur kai baar maine jab Indore jata to Priya se jarur milta ya wo yaha aati to hum milte rahte the aur is tarah din bit rahe the.Ek din subh maine Priya ko phone kiya ki aaj maine shaym ko Indore aauga tum kya kar rahi ho? Us ne kaha office ke bad maine bilkul free hu us ki office se 6 baje chutti ho jati thi maine kaha mujhe ek recaption atten karna hai aur shayd raat wahi rukna pade jaha shaadi hai| us ne kaha thik hai yaha aajo phir baat karte hai.Maine Indore station par phucha aur waha se Priya ki office gaya Priya office me busy thi us ne mujhe dekha pani bheja aur kaha jald hi chalte hai aur kuch der me Priya free ho gai us din us jins aur t shirt pahni thi wo aaj bahut sexy lag rahi thi karib 15 minte me hum loge bahar aagaye 7 baj chuke the.Priya ne pucha marrige me kab jana hai maine kaha 9 baje chala jauga us ne kaha chalo chai pite hai pas hi ek restorent me humne chai pi aur Priya ne kaha chalo mereroom par chalte hai phir vahi se tum shaadi me chale jana aur fresh bhi ho jana maine kaha thik hai hum ne auto liya kyoqi Priya jaha rahati thi wo area bahut door tha karib 5km raste me sweet shop dekh kar Priya ne auto rukwaya wo shop me chali gayi maine auto me hi baitha tha pass hi ek wine shop thi jab tak Priya wapas aati maine wine shop se ek bottle wiskey lekar aaya aur sit ke piche chupa di auto phir chal pada kuch door chalne ke bad thodi thodi barish hone lagi maine Priya se puchakitni dur hai us ne kaha karib 1-1.5 km aur baaki hai barish aab tej ho chuki aur auto band hogi driver ne bahut kosis ki par auto start nahi hua maine Priya se pucha aur koisadhan nahi milega barish bahut tej hogai thi maine auto ke bahar nikla to pura bhig gaya Priya ne kaha aab paidal hi jana padega maine kaha thik hai hai aab to jana hi padega itna bhig gaye hai auto se maine wiskey ki bottle nikal le usne pucha kya hai maine kaha gift hai aur hum paidal chal pade karib 1km chalne ke bad hum Priya ke room me pahuche barish aab bhi bahut tej thi.Room khol kar hum under pahuche Priya ne light on ki hum loge puri tarah bihggaye the room ek thi tha jis se atach bathroom tha aur ek chota ra room tha jise Priya ne kitchen bana rakha tha | Priya ne mujhe ek tavel diya aur khud ek tavel le kar bathroom ghus gai maine coolar on kyaaur kapde utar kar coolar me sukhne dal diye aab 8 baj chuke the aur barish rukne ka naam nahi le rahi thi coolar hone ke karan thand lag rahi thi mujhe aachanak wiskey ki yaad aayi Priya abhi tak bathroomme thi shayad naha rahi thi maine pucha ki gilas kaha hai us ne kaha kitchen se lelo maine do gilas le aaya aur bed ke pass padi teaTable par bottle rakhi aur pass khich li aur ek large peg apne liya banya aab Priya bathroom se bahar aayi us ke badan par sirf tavel tha maine use gour se dekha wo sarma gai aur kuch tange hue kapde lekar kitchen me guss gai jab wo kitchen se bahar aayi to usne selewless nighty pahan rakhi thi jo ki uske thai tak thi uski sexy sexy aur moti moti tange dikh rahi thi aur uske nighty visible thi usne white colour ki panty pahni thi aur bra nahi thi uske bade bade boobs aur bhi bade lag rahe the usne pucha ye kya hai aur ye kaha se le aaye maine bataya ye wahi gift hai wo samjh gai maine abi tak sirf tavel me tha. 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Kya aab wo mujhese lipat gai aur rone lagi maine uski pith par hath ferte hue pucha darling kya hua maine use apne se alag kiya aur uska chara hatho me lekar pucha uske aansu ruk nahi rahe the maine use pani pilaya wo kuch narmal hui | usne bataya ki uske relation ke boss se bangaye hai jo ki umnmarred hai aur usne phiycal realtion bhi bana liye hai par aab wo usko ignore karraha hai maine job chod bhi nahi sakti kyoqiyaha pay bahut aachi hai aur use ki femily ke liye jaruri hai kiWo kam kare taki ghar thik se chal sake maine kaha koi baat nahi tum job mat chodo hun koi naya job khojte tab tak yahi raho sab thik ho jayega Priya aab tak subak rahi thi aur mujse lipat rahi thi maineuske gal pe chum liya uske bade bade boobs mere chest par dab rahe the maine bhi bahut exied ho raha tha barish abhi bhi usi speed se ho rahi thi aab 9 baj chuke themeri shaadi me jane ki umeed dhumil hote jarahi thi .Priya aab bhi mujhese lipti hui thi aur maine uske galo kar kiss kiye jaraha tha aur wo chup chap thi. 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Usne ne kaha candle jalati hu maine kaha rahne do jarurat nahi hai aur priya ko maine apni ourkhtich liya aab hom dono ki saase aapas metakra rahi thi Priya ki saase tej hogai thi.Miane maouk ka fayada utha kar Priya ke lips par apne lips rakh diye wo kuch nahi boli meri himmat aur bad gai aab maine dhirdhir us ke lips chusne laga uska koi reaction nahi tha aur apos bhi nahi mere lund ka bura hall tha aur wo tavel se bahar aachuka tha par andhera hone ke karna Priya ko pata nahi chala aab maine apna right hand Priya ke left boobs par rakh diya aur lips chusne laga koi virod na hota dekh kar maine boobs ko halke halke press karne laga aab Priya bhi kuch exied ho gai thi maine apna hath uski tha se ragrta hua us ki nighty ke under dal dia aur aab thoda jor jor se boobs dabne laga light aab bhi band thi aab maine maan bana liye ki aaj Priya ko choduga aaj sabse aachaMouka hai aab maine uski nighty utar di kyoqi Priya nase me thi aur exied hochki thiisliye usne upos nahi kiya aab maine uska pura sparsh mahsus kar raha tha aab donohatho se Priya ke boobs daba raha tha aur masal raha tha aur aab maine boobs chusna suru kar diye bari bari se dono boobs daba raha tha aur chus raha tha Priya mere balo me ungaliya fer rahi thi aurjor jor se saase le rahi thi.mera tavel khul chuka tha aab maine Priya ko bed par sula diya aur use upar se niche tak chumne
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Marathi Font XXX Stories

Marathi Font XXX Stories
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माझ्या मावस भावाच्या मुलाचे नुकतेच लग्न पुण्यात झाले आणि भावाचा मुलगा लग्नानंतर १५ दिवस पुण्यात राहून मग अमेरिकेला निघून गेला. त्याची बायको माया ही अमेरिकन विसा नसल्यामुळे त्याचे बरोबर जाऊ शकली नाही. मी मुंबईत वॉर्डन रोडवर माझे बायको बरोबर रहातो. अमेरिकन कॉन्सुलेट आमच्या घराच्या अगदी जवळ आहे. माझ्या भावाचा मला एका बुधवारी पुण्याहून फोन आला की माया विसासाठी शनिवारी संध्याकाळी पुण्याहून निघून रात्री आमच्याकडे रहावयास येत आहे, आणि सोमवारी सकाळी १० वाजता तिची अमेरिकन कॉन्सुलेट मध्ये अपॉइंटमेंट आहे. मी त्यास सांगितले की मायाने येउन रहाण्यास काही हरकत नाही, व मी तिला स्टेशनवरुन घेउन येइन आणि विसाचे दिवशी सर्व मदत करीन.

शुक्रवारी सकाळी माझ्या बायकोला तिच्या काही मैत्रीणींबरोबर अचानक मुंबईबाहेर ५-६ दिवसांकरिता जावे लागले. त्यामुळे मी आमच्या मोठया अपार्टमेंट मध्ये एकटाच होतो. माझी दोन्ही मुल परदेशीच असतात. शनिवारी संध्याकाळी ७-३० वाजता माया पुण्याहून डेक्कने एक्सप्रेसनी आली. मी तिला घ्यायला सी एस टी वर गेलो. मायानी जिन्स आणि लाल टी शर्ट घातला होता. लग्नानंतर मी तिला प्रथमच भेटत होतो. माया खुप छान दिसत होती. मायाची उंची सुमारे ५'-५" असावी. तिचे डोळे मोठे व चेहेरा गोल आहे. त्यादिवशी तिचे केस खांद्यापर्यंत लांब होते.

"हाय माया, कसा झाला प्रवास" मी तिला विचारले व तिची बॅग हमालाला उचलायला सांगितली.

"अंकल प्रवास खूप छान व आरामात झाला, पण इथे मुंबईत उकडते आहे" माया म्हणाली.



बोलत बोलत आम्ही माझ्या टोयोटा कॅम्री कारपाशी आलो. हमालानी बॅग माझ्या युनिफॉर्म्ड शोफरचे ताब्यात दिली. शोफरने दार उघडून धरल व आम्ही दोघही मागे बसलो. २०व्या मजल्यावरील आमच्या घरी पोहोचल्यावर मायाला मी तिची बेडरुम दाखवली व एसी चालू करुन दिला. माया फ्रेश व्हायला टॉयलेटमधे गेली व मी बाहेर लिव्हींगरुममधे जाउन बसलो. ड्रायव्हर माझी परवानगी घेउन गेला. त्याला मी सोमवारी सकाळी लवकर येण्यास सांगितले. आता मी आणि माया असे दोघेचजण घरात होतो. ८ वाजून गेले होते, शनिवारचा दिवस होता. माझी ड्रिंक घ्यायची वेळ झाली होती. नोकर ड्रिंक ट्रॉली अरेंज करुन गेला होता. खारे काजू, पिस्ते, चीज-पायनापल वगैरे त्याने नीट मांडून ठेवले होते. मी माया फ्रेश होउन यायची वाट पहात मोठा प्लाझमा टी.व्ही. लावून बसलो. मी संध्याकाळीच शॉवर घेउन फ्रेश झालेला होतो.

काही वेळातच माया बाहेर आली. मी तिच्याकडे पाहून एकदम चकीतच झालो. मायाने कॉटनचा पांढरा स्कर्ट आणि त्यावर कॉटनचाच गुलाबी टॉप घातला होता. ती फारच सुंदर व मादक दिसत होती. मी विसरुन गेलो की ती माझ्या भावाची आणि पर्यायाने माझीही सून आहे. मी तिला नखशिखांत न्याहाळले. तिने केसांचे पोनीटेल बांधले होते. तिच्या गळ्यात मंगळसूत्र होते. तिच्या गुलाबी टॉपचा गळा जरा जास्तच खोल होता, त्यामुळे तिच्या उरोजांमधील फटीचा वरचा भाग दिसत होता. माझा मावसभाऊ व वहिनी मॉडर्न विचारसरणीचे होते आणि, मायाही तशीच वाढली होती.

मी मला सावरले, आणि मायाला म्हणालो, "माया, मी आता स्कॉच घेणार आहे? तुला काय देउ?"
"नको अंकल, मी काहीतरी सॉफ्ट घेइन." माया म्हणाली.

"अग, जरी मी तुझा सासरा असलो नात्याने तरी, लाजू नकोस. बी फ्री आणि अँट होम. माझ्याकडे उत्तम इटलियन वाइन आहे" मी म्हटले.
माया माझ्या समोरच्या कोचावर बसली आणि म्हणाली, "ओ के अंकल मी वाईन घेईन."

मी तिला उत्तम ईटलियन वाईनचा एक ग्लास भरुन दिला, आणि मी माझ्यासाठी एक स्कॉचचा पेग बनविला. आम्ही दोघ काजू वगैरे खात खात गप्पा मारत ड्रिंक एन्जॉय करत होतो. आमचा गप्पांचा विषय हा मायाचा अमेरिकन विसा, तिचे फ्युचर प्लँन्स असाच होता. अनल्पाई.नेट तिचा नवरा म्हणजे माझा मावस पुतण्या दीपक हा कँलिफोर्नियात आय टीमधे इंजिनियर आहे. माया ही देखील कॉम्प्युटर इंजिनियर झाली होती आणि लग्नापूर्वि पुण्यात नोकरी करत होती. गप्पा मारता मारता आमचे ड्रिंकस चालूच होते. माझे ३ पेग झाले होते आणि मायानी २ ग्लास वाइन घेतली होती. मला आता ३ पेग्सनंतर थोडे थोडे लाइट वाटू लागले होते. मायाही आता रिलँक्स झाली होती. मी ५५ वर्षांचा होतो आणि माया अवघी २६ वर्षांची होती. माझ्या मनातला पुरुष आता जागा होऊ लागला होता. इतकी सुंदर आणि मादक मुलगी माझ्या समवेत एकटीच माझ्या मोठ्या घरात आहे, याची जाणीव मला वाईट विचार करावयास भाग पाडू लागली होती.

"माया तु आणि दीपक हनिमूनला कुठे ग गेला होतात? कारण मी फार गडबडीत होतो तुमच्या लग्नानंतर." मी विचारले.
"अंकल, आम्हाला वेळ कमी होता म्हणून आम्ही महाबळेश्वरला गेलो. कारण दीपकची खूप धावपळ होती." माया जरा लाजूनच म्हणाली.

"मग कसा काय झाला हनिमून, मजा आली का? दीपकनी खूप त्रास नाही ना दिला?" मी जरा बोल्ड्ली विचारले. आणि माया एकदम लाजली.

"ओ नो अंकल, यू आर टू मच, आस काय हो विचारता?" अस म्हणत माया एकदम मुरकली.
"अग सांग, एवढी कशाला लाजतेस. मी दीपकचा काका म्हणून विचारतोय." मी उदगारलो.
"मग कसा काय झाला हनिमून, मजा आली का? दीपकनी खूप त्रास नाही ना दिला?" मी जरा बोल्ड्ली विचारले. आणि माया एकदम लाजली.
पुढे काय झाले...

"ओ नो अंकल, यू आर टू मच, आस काय हो विचारता?" अस म्हणत माया एकदम मुरकली.
"अग सांग, एवढी कशाला लाजतेस. मी दीपकचा काका म्हणून विचारतोय." मी उदगारलो.



मायाच्या गालावर लाली चढलेली मला जाणवली. मी तिच्या डोळ्यात रोखुन पहात तिला म्हणालो, "अग माया बी स्पोर्ट, आता तु तर अमेरिकेला जाणार आहेस, तुला अशा बोल्डनेसची सवय व्हायला हवी. नो हार्म मला सांगण्यात फ्रीपणे."

मायाने माझे हे बोलणे ऐकून मान खाली झुकवुन तिच्या पायांची हालचाल केली. तिचे पाय स्कर्ट घातलेला असल्यामुळे गुडघ्याखाली उघडे होते. तिने पायात डिझायनर चपला घातल्या होत्या आणि चांदीची एक साखळी(अँकलेट) तिच्या डाव्या पावलावर होते. माझ्या मनातील वाईट विचार आता वासनेत बदलू लागले. ती माझी सून आहे तरी तिचा उपभोग घ्यावा असे मला वाटू लागले. एव्हड्या मोठ्या अपार्टमेंटमधे आम्ही दोघच होतो त्याचा फायदा मी अतिशय सावधपणे व हळूवारपणे मायाच्या कलाकलाने घेण्याचे ठरवले. जवळ जवळ दहा वाजले होते.


"अग माया, अग तु फारच लाजतेस. मी दीपकलासुद्धा विचारले असते, आणि त्याने माला सांगितले असते. बर ते जाउंदे, तु आस कर मला एक पेग बनव आणि आता तुला मी वाईन ऐवजी ब्लडी मेरी बनवून देतो, यू विल लाईक इट." मी म्हणलो.

"नको नको, अंकल, मला आता काही नको, आपण आता जेवण करु." ती म्हणाली.

"छे छे, माया अग सॅटर्डे नाइट आहे, एव्हड्या लवकर कसल जेवायचे? आणि मी तुझा सासरा आहे सो यू मस्ट गिव्ह मी कंपनी. माझे ऐकायचे." मी म्हणालो.

मीच उठुन माझ्यासाठी स्कॉचचा पेग आणि मायासाठी व्होडकाचे ब्लडी मेरी हे कॉकटेल बनविले व आता सोफ्यावर तिच्या शेजारी जाउन बसलो. मी मुद्दामुन कॉकटेलमधे व्होडका जरा जास्त ओतली होती. कुकनी घरी सर्व जेवण तयार करुन ठेवलेले होते. मायाला मी किचन मधे जाउन तंदुरी चिकनचे पीसेस मायक्रोवेव्हमधे गरम करून आणावयास सांगितले. माया उठून गेली, जाताना मी तिला पाठमोरी नीट न्याहाळली. चालताना तिच्या नितंबांची झालेली हालचाल छान वाटली. मला जाणवले होते की माझ्या उच्चभ्रु घराचा, रहाणीचा, थाटाचा मायावर चांगला प्रभाव पडला होता. माझा मावसभाऊ(तिचा सख्खा सासरा) काही माझ्याइतका श्रीमंत नव्ह्ता, परंतु उच्च मध्यमवर्गीय होता. माया चिकनची डिश घेउन आली, आणि आम्ही जनरल गप्पा मारत ड्रिंक्स सिप सिप करत बसलो. मी तिला माझ्या बिझनेस, फॉरीन ट्रिप्स वगैरे बद्दल सांगत तिच्यावर जास्त प्रभाव टाकत राहिलो. मला जाणवले की ती इंप्रेस झाली आहे, आणि ब्लडी मेरीचाही तिच्यावर असर सुरु होउन ती आता जास्त मोकळेपणानी बोलू लागली आहे.

माझा स्त्रीयांबाबतचा अनुभव पुष्कळच आहे. लग्नापूर्वि तसेच लग्नानंतरही माझ्या आयुष्यात इतर स्त्रीयांशी लैंगिक संबंध आले आहेत. वयाच्या १७ व्या वर्षिच मी एका लग्न झालेल्या लेडी डॉक्टरशी सेक्सची सुरुवात केली होती. त्यामुळे मायाला वश करण्यात फार अडचण येणार नाही याची जाणीव मला होती. त्यामुळे मायाला वश करण्यात फार अडचण येणार नाही याची जाणीव मला होतीच. माझ्याकडे भरपूर वेळ होता, संपूर्ण रात्र बाकी होती. मायानी अर्धी ब्लडी मेरी संपवली आहे हे पहिल्यावर मी उठलो, आणि "एक्सक्यूज मी माया, मी जरा टॉयलेटला जाउन येतो आणि कपडेही बदलून येतो" असे सांगून मी बेडरुमकडे गेलो. बेडरुममधे मी माझे सर्व कपडे काढून टाकले, बाथरुममधे जाउन मी पटकन शॉवरखाली उभा राहिलो आणि छानपैकी अंघोळ केली. लिंग कातडी मागे ओढून नीट धुतले, तसेच एनस, गोट्या आणि कुल्ल्यातली फटही साबणानी स्वच्छ धुतली. अंग नीट कोरडे करुन मी पावडर शिंपडली, पर्फ्युमचा स्प्रे मारला आणि फक्त एक शॉर्ट आणि टी शर्ट घातला. बेडरुम नोकरानी नीट आवरलेली होतीच, मी बेडवर दुसरा एक सुगंधी सेंटचा फवारा मारला, एअर कंडीशनर जास्त गारवर सेट केला. माझ्या कपाटात एक कोरा सुंदर डायमंड नेकलेस असाच आणून ठेवलेला होता तो घेतला आणि बाहेर आलो. लिव्हींग रुमकडे न जाता मी मायाला दिलेल्या बेडरुम मधे गेलो आणि बाथरुम मधे गेलो. माझ्या अपेक्षेप्रमाणे मायानी प्रवासातून आल्यावर बदललेले कपडे तिथेच टांगलेले होते. मी तिची ब्रा आणि पॅंटी हातात घेतली, ब्राचा साईझ ३४ वाचला. नंतर मी पॅंटी नाकाजवळ नेउन वास घेतला आणि बाहेर पडून लिव्हींगरुम मधे मायाकडे आलो. ओ अंकल तुम्ही चेंज करुन आलात वाटत, म्हणूनच तुम्हाला एवढा वेळ लागला." माया म्हणाली. तिचा ग्लास रिकामा होता.

"अग होय, मी शॉवरही घेतला, आणि माला शॉर्टसमधे कंफर्टेबल वाटते घरी. बर चल तुला अजून एक ब्लडी मेरी देतो" मी म्हणलो.

"आता इनफना अंकल, मला त्रास होईल हो प्लीज." माया म्हणाली.

"ओ चल, धिस विल बी लास्ट, आय प्रॉमिस, आणि मी तुला आता एक गंमत देणार आहे, आफ्टर आय फिक्स अस ए ड्रिंक." मी तिला म्हणालो. मनात मी म्हटले, "माया या ड्रिंक आणि डायमंड नेकलेस तुला दिल्यावर बरच काही होणार आहे."

मी ड्रिंकस बनवली, आणि टी पॉयवर ठेवली आणी नेकलेसची बॉक्स हातात घेउन तिच्याशेजारी उजवीकडे जरा जवळच बसलो.

"माया तुझा डावा हात पुढे कर आणि डोळे मीट. हिअर इज अ सरप्राईझ फॉर यू." मी म्हणालो.

"काय आहे अंकल सांगा ना प्लीज." माया म्हणाली
"आधी तू डोळे मिटून हात पुढे कर. आणि मी सांगितल्याशिवाय डोळे उघडायचे नाहीत, प्लीज." मी तिला म्हणालो.

मायानी डोळे मिटून डावा हात पुढे केलान. मी तिचा उजवा हात माझ्या डाव्या हातात घेतला आणि माझ्या डाव्या मांडीवर ठेवला. तिचा हात मउ होता, बोटे लांबसडक होती. मग मी नेकलेसचा बॉक्स तिच्या हातावर ठेवला आणि म्हणालो, "माया, नाउ ओपन युवर आईज, मी तुझ्यासाठी गिफ्ट आणली आहे."

तिने डोळे ऊघडून हातातील बॉक्स पाहिला आणि आश्चर्याने माला विचारले, "अंकल, ह्यात काय आहे?"
"अग पॅकिंग उघडून तर पहा आधि म्हणजे तुला समजेल." मी म्हणालो. मायानी पॅकिंग फोडले आणि नेकेलेसची निळी मखमली पेटी उघडी केली. तिचे डोळे ती पेटी पाहून विस्फारले. तिने कुतुहलाने मजकडे पाहिले, मी तिला मानेनेच पेटी उघडायची खूण केली. तिने पेटी उघडली आणि आतला हिर्याचा नेकलेस पाहून ती एकदम थक्क झाली.

"ओ अंकल, इज इट रिय्ली फॉर मी? आय कांट बिलीव्ह इट्! आय कांट टेक सच एक्सपेन्सीव्ह गिफ्ट. हा नेकलेस खूपच महाग असेल ना?" माया उदगारली.
अग माया, ही आम्ही तुझ्यासाठीच आणलेली आहे. तु येणार आहेस विसासाठी हे कळल्यावर, आणि लग्नात मी दीपकला गोल्ड ब्रेसलेट दिलेले तु पाहिलेच आहेस. तुझ्यासारख्या माझ्या सुंदर सुनेसमोर कसली आली आहे महाग किंमत वगैरे! तुला आवडला आहे की नाही हे फक्त सांग" मी म्हणलो.

माया नेकलेस पाहून आनंदीत झाल्याच मला जाणवले. ती अगदी हरखून निरखून त्याच्याकडे पहात होती. माझ्या उद्दिष्टाच्या जवळ जात आहे मी ओळखले. परंतु मी घाई अजिबात करणार नव्हतो. ह्ळुवारपणे तिला माझ्या तावडीत घेणार होतो. मी नेकलेस मखमली पेटीतून बाहेर काढला.

"माया आता हा नेकलेस तुझ्या गळ्यात कसा दिसतो ते आपण आता पाहू." मी म्हणलो आणि तिच्या अगदी जवळ सरकलो.

माझी उघडी मांडी तिच्या मांडीला मी चिकटवली. माझी नजर आता तिच्या गळ्याकडे होती, तिच्या गळ्यात नाजूक मंगळसूत्र होते. तिच्या उरोजांमधल्या घळीचा वरचा भाग थोडा दिसत होता. मला मोह झाला की तिचे उरोजांवर हात न्यावा आणि दोन्ही पकडून कुस्करावे, पण मी मला सावरले. नेकलेसचा लॉकिंग हूक मी उघडला आणि माझ्या दोन्ही हातात नेकलेस पकडून मी मायाच्या गळ्याकडे झुकलो. मायानी केस खांद्यावर मोकळे सोडलेले होतेन.

"माया डियर्, मान पुढे कर आणि तुझे केस वर धरून ठेव म्हणजे मला तुझ्या गळ्यात नीट नेकलेस घालता येईल." मी सांगितले.

मायानी मान डोलावली आणि दोन्ही हाताच्या पंजात आपले केस धरुन उचललेन, त्यामुळे तिची हाताची दोन्ही कोपर डोक्याचेवर गेली. तिच्या या पोझमुळे तिचा टॉप पुढे सरकला व मला तिच्या उरोजांमधील पन्हळ बरीच खोलवर दिसू लागली. मी ते न्याहाळले, मल तिची पांढरी लेस्ड ब्राही दिसली. मी काय पहात आहे ते मायाच्याही लक्षात आले, पण ती नेकलेस गळ्यात घालून घेण्यास आतूर झाली होती. दीपकशी लग्न झाल्यावर त्यांच्या हनिमूननंतर तो लगेच अमेरिकेला रवाना झाला त्याला २ महिने होउन गेले होते. मायाला दीपकशी शरीरसुखाची सुरुवात झाल्या झाल्या त्यात २ महिन्यांचा खंड पडला होता. मी तिच्याकडे जास्त झुकलो आणि तिच्या गळ्याभोवती नेकलेस लावला आणि लॉक करण्यासाठी वाकलो. माझ्या छातीवर तिचे दोन्ही स्तन चिकटले. माया अंग चोरत मागे सरकली परंतु सोफ्याच्या पाठीमुळे तिला ते जमले नाही. मी मुद्दामच शॉवर घेतल्यानंतर शॉर्ट्सचे आत ब्रिफ व टी शर्टचे आत गंजी घातला नव्हता. मला मायाच्या स्तनांचा स्पर्श माझ्या छातीवर नीट जाणवला. मी नेकलेस नीट लॉक केला व मागे सरकलो. माया माझ्या इतक्या जवळीकेनी बावरलेली मला दिसली. माझी अशी जवळीक तिला आवडली असावी असे मला वाटले, महागडा नेकलेस भेट देण्याची माझी चाल यशस्वी ठरणार आहे हे मला उमगले. आता पुढील चाल सुद्धा मी सावकाश करणार होतो. ब्लडी मेरीचा अंमलसुद्धा तिच्यावर झाला होताच. त्यामुळे ती जरा फ्री झाली होती.

"वाव माया, काय शोभतोय ग तुझ्या गळ्यात हा नेकलेस, यू आर लूकिंग व्हेरी गॉरजिअस माया." मी सांगितले. "पण माया, तू आरशात पाहिल्याशिवाय तुला कसे कळणार की तुला नेकलेस किती शोभून दिसत आहे ते..! आपण अस करु, माझ्या बेडरुममध्ये मोठा आरसा आहे तिथे जाऊन आपण पाहू." मी म्हणालो.

माया उठली, मी खांद्याला धरुन तिला माझ्या बेडरुमकडे घेऊन गेलो. माझी बेडरुम खूप मोठी २० बाय २०' आहे, आत मोठा प्रशस्त डबलबेड, एक छोटा दोन जणापुरता सोफा सेट, एक आरामखुर्ची, टी पॉय, मोठा टी व्ही, म्युझिक सिस्टीम वगैरे सर्व सोई आहेत. डबलबेडचे समोर वॉर्डरोब आहे आणि त्याच्या दारांवर पूर्ण ७ फूट उंचीचे आरसे जमिनीपासून लावलेले आहेत. बेड्चे मागील भिंतीवर देखील आरसे लावलेले आहेत. अटॅच्ड टॉयलेटही खूप मोठी व मोठा झाकूझी टब असलेली आहे. आम्ही दोघही बेडरुम मधे गेलो. मी ए.सी खूपच थंडवर सेट केलेला होता. मी दार बंद करुन टाकले आणि मायाला आरशासमोर नेऊन मी तिच्या मागे उभा राहिलो. माझ्या बेडरुमचा थाट पाहून माया इंप्रेस झाली. माया आरशात नेकलेस घातलेली स्वतःची छबी पाहू लागली. दिव्यांच्या प्रकाशात नेकलेसचे हिरे चमचमत होते.

"माया डियर, आवडला ना ग तुला, तुझ्या गळ्यात खरच छान दिसतोय की नाही.? किती सुंदर दिसते आहे माझी माया डार्लिंग..!" मी म्हणालो. मायानी मान नुसती डोलावली, तिला काही बोलायला सुचले नाही. अनल्पाई.नेट मी तिच्याजवळ पुढे सरकलो. माझे इंद्रिय आता ताठर झाले होते. मी तिचा डावा हात माझ्या डाव्या हातानी पकडला, व उजवा हात मायाच्या कंबरेभोवती फिरवून तिच्या पोटावर नेला आणि तिला अलगदपणे जवळ ओढले. माझे ताठरलेले लिंग मी तिच्या डाव्या नितंबावर(कुल्ल्यावर)टेकवले. मी ब्रिफ घातली नसल्यामुळे मायाच्या पातळ स्कर्ट मधून तिला माझ्या लिंगाचा स्पर्श जाणवला आणि ती एकदम माझ्यापासून दूर जायचा प्रयत्न करू लागली. मी मात्र तिचा डावा हात व पोट काही सोडले नाही, उलट मायाच्या पोटावरचा दाब वाढवून तिला आणखी जवळ खेचली.

"अंकल, अंकल, नका ना, नका ना, प्लीज माला सोडा हो...! धिस इज नॉट करेक्ट," माया म्हणू लागली.

"रिलॅक्स बेटी माया, रिलॅक्स्, इटस ओ के...! आय हॅव फॉलन फॉर यू आणि तु मला आवडली आहेस डियर...! जरा मला फक्त तुला जवळ घेउन दे, आय प्रॉमिस मी काही तुला करणार नाही." मी उदगारलो.
"उं,उं,उं,हूं, अंकल, ओ प्लीज." माया पुटपुटु लागली, कारण मी तिचा डावा हात व पोट सोडले नव्हते. मी उलट तिच्या पोटावरचा दाब वाढवून बोटांनी हळूच तिचा टॉप वर ओढला व तिची बेंबी चाचपू लागलो. माझे मधले बोट बेंबीत गोल गोल फिरवू लागलो. माया शहारली व जरा जरा थरथरु व कापू लागली. आरशासमोरच उभे असल्याने तिची बेंबी व त्यातील बोट आम्हा दोघांनाही दिसत होते. मी हळूच तिचा डावा हात सोडून दिला, व माझा डावा हातही मायाच्या पोटावर आणला व तिचा टॉप वर उचलला व तिचे पोट बरेच उघडे केले. तस लगेच मायाने पुन्हा सुटण्याचा प्रयत्न केला.

"माया, माय स्वीटी, रिलॅक्स नाउ. मला माहित आहे की यू हॅव मिस्सड सेक्स दीपक गेल्यापासून, सो आता रिलॅक्स हो, मी तुला खूप मजा देईन." मी म्हणलो. ती काहीच बोलली नाही. मी ओळखले की आता ती जवळजवळ वश झाली आहे आणि आता मला तिच्या शरीराशी प्रणयचेष्टा व चाळे माझ्या अनुभवी पद्धतीने करावयास मिळणार आहेत.

मी तिला खांद्याला धरुन फिरवले आणि तिला माझ्या बाहुपाशात घेतली. माझे नाक तिच्या केसांवर नेउन तिच्या केसांचा दीर्घ वास घेतला. माझे दोन्ही हात आता मायाच्या कुल्ल्यांवर होते. माझ्या डाव्या हातानी तिचा उजवा कुल्ला व उजव्या हातानी तिचा डावा कुल्ला मी स्कर्टवरुन पकडला व तिला अलगदपणे माझ्या आणखी जवळ ओढली. मी ६ फूट उंच आहे आणि माया ५'-५". त्यामुळे माझे ताठरलेले लिंग मायाच्या पोटावर घासावयास मला फारसे वाकावे लागले नाही. मी मग डाव्या हातातुन तिचा कुल्ला सोडला व त्या हाताने मायाचे डोके केसानी धरले आणि माझे ओठ तिच्या ओठांवर नेउन तिचे चुंबन घ्यायला सुरवात केली.

मी तिला खांद्याला धरुन फिरवले आणि तिला माझ्या बाहुपाशात घेतली. माझे नाक तिच्या केसांवर नेउन तिच्या केसांचा दीर्घ वास घेतला. माझे दोन्ही हात आता मायाच्या कुल्ल्यांवर होते. माझ्या डाव्या हातानी तिचा उजवा कुल्ला व उजव्या हातानी तिचा डावा कुल्ला मी स्कर्टवरुन पकडला व तिला अलगदपणे माझ्या आणखी जवळ ओढली. मी ६ फूट उंच आहे आणि माया ५'-५". त्यामुळे माझे ताठरलेले लिंग मायाच्या पोटावर घासावयास मला फारसे वाकावे लागले नाही. मी मग डाव्या हातातुन तिचा कुल्ला सोडला व त्या हाताने मायाचे डोके केसानी धरले आणि माझे ओठ तिच्या ओठांवर नेउन तिचे चुंबन घ्यायला सुरवात केली.

मायानी तिचे तोंड वळवण्याचा प्रयय्न केला पण मी तिचे डोके केसांनी धरुन ठेवले असल्यामुळे तिला ते जमले नाही. आम्ही आरशासमोरच उभे होतो त्यामुळे तिची नजर आरशात चुंबन पहात आहे हे मला तिच्या डोळ्यात पहाताना जाणवले. तिला किस करताना मी जरा जोर लावून माझी जीभ मायाच्या ओठांवर दाबली, आणि जीभ तिच्या तोंडात सारण्याचा प्रयत्न केला. माझ्या उजव्या हाताने तिचा डावा कुल्ला चार बोटे आणि अंगठ्यानी मी कुस्करत होतो. तिचा कुल्ला माया तरुण व नुकतेच लग्न झाले असल्यामुळे चांगला घट्ट व पुष्ट होता. मी मायाचे डोक धरलेले सोडले. मायानी काही चुंबनापासून दूर ह्टण्याचा प्रयत्न केला नाही. माझ्या अनुभवासमोर तिचा विरोध संपला होता, ती माझ्या आता पूर्ण कह्यात व तावडीत येऊ लागली होती. १०-३० वाजून गेले होते, आम्ही अजून जेवलो नव्हतो, त्यामुळे मायावर व्होडकाचा अंमलही होता. मी डाव्या हातानी तिची मान चेपू लागलो व दोन्ही कानांमागे बोटांनी खाजवू लागलो. स्त्रियांना हे खूप आवडते, मायाही त्यामुळे माझ्या जिभेशी तिच्या जिभेचा प्रतिसाद देउ लागली. मी दोन्ही हाताचा विळखा मायाभोवताली टाकला व तिला घट्ट आलिंगनात घेतली. तिचे दोन्ही स्तन माझ्या छातीवर दाबले गेले. मी हातानी तिचा टॉप मागून वर उचलला आणि पाठ उघडी केली व तिच्या मणक्यावर वरखाली बोटे फिरवू लागलो.

"माया, माया, तु फार चांगली आहेस, मला हवी आहेस. मी तुला खूप मजा देइन. चल आपण आता जरा बसूया तिथे" मी म्हणालो. व मायाला पलंगाकडे वळवून मी तिला माझ्या डबलबेडवर बसवली. माझा उजवा हात मी तिच्या टॉपच्या पुढुन आत सारला आणि मायाच्या स्तनांना ब्रावरुनच हळूवारपणे चाचपू लागलो. डावा हात तिच्या पाठीवर होताच. मायाचे स्तन मी नुसता हात ब्रावरुन गोल गोल फिरवून हाताळत होतो, तिच्या ब्राच्या आत मी बोटे सारली नव्हती कारण मला मायाला माझ्या पूर्णपणे कह्यात तिच्या मर्जीने घ्यायचे होते.

"माया, डार्लिंग, चला आता, मला तुझ सगळ काही नीट दाखवणार ना? चल, आता तुझा टॉप काढणार ना? बी अ गुड गर्ल, आपण खूप खूप मजा करु" मी म्हणालो.

"अं, अंकल येस, येस्...... आय नीड यू, दीपक निघून गेला, आय मिस सेक्स्" असे म्हणत मायाने आपणहून दोन्ही हात वर केले आणि "काढा तुम्हीच" अस म्हणाली.

मी तिचा टॉप दोन्ही हातानी काढून टाकला. मायानी पांढर्या रंगाची कॉटनची ब्रेसियर घातली होती. मायाचे ऊरोज फार मोठे नव्हते. मी मायाला जरा वळवून तिच्या पाठीवरचा ब्राचा हूक सोडविला, त्याबरोबर ब्राचे दोन्ही कप्स पुढे छातीवर सैल पडले व स्तन कप्सच्या बंधनातून मुक्त होउन जरासे हिंदकाळले. मी ब्रा खांद्यावरुन स्ट्रॅप्स सरकवून पूर्णपणे काढून टाकली.

माया परत जरा लाजली आणि दोन्ही हात खांद्यावर नेउन तिचे उघडे स्तन झाकण्याचा लटका प्रयत्न केला. मी तिचे हात दूर केले व तिचे उघडे झालेले स्तन न्याहाळू लागलो. मायाचे स्तन मध्यम आकाराचे होते. स्तनाग्रांचा रंग हा चॉकोलेटी होता व आकार दोन रुपयाच्या नाण्याएवढा होता. निपल बेदाण्यासारखे होते कारण त्यांना चोळून मी मनुकेप्रमाणे टॉट अजून केली नव्हती. तिच्या स्तनामधल्या पन्हळीत तिचे मंगळसूत्र होते आणि त्याच्या वरच्या भागावर मी दिलेला डायमंड नेकलेस चमकत होता. मायाच्या काखेत आजिबात केस नाहीत हे मी तिचा टॉप काढून टाकताना पाहिले होते. मी माझा डावा हात मायाच्या पाठीभोवतालून काढून तिचा डावा स्तन पकडला व हळूवारपणे दाबावयास सुरवात केली. तिचे निपल अंगठा व मधल्या बोटाच्या चिमटीत पकडून चुरायला लागलो. लगेच उजवा हात तिच्या उजव्यावर स्तनावर नेउन ते निपलही ताब्यात घेतले.

माया डोळे मिटून हुंकारु लागली. मी पहिले की तिच्या मांड्यांची हालचाल होउ लागली आहे. याचा अर्थ माझ्या स्तनमर्दनाने मायाच्या चड्डीत खळबळ सुरु झाली होती.

"माया यू हॅव व्हेरी नाईस बुब्स. मी त्यांना पकडून दाबतोय ते तुला आवडतय ना? कस वाट्तय ग टेल मी नो. दीपकनी तुझे पहिल्यांदा कसे पकडले हे नंतर सांगशील ना? दीपकच्या आधी कुणी पकडले होते का नाही?" मी तिच्या कानाशी पुटपुटत होतो.

"नाही हो अंकल, अस काय विचारता? पहिल्यांदा दीपक आणि आता तुम्ही यू हॅव एक्स्पोस्ड मी"

मी आता मायाच्या पोटाकडे माझा उजवा हात सरकवला. तिचे पोट चांगले टुमटुमीत होते. बेंबी माया बसलेली असल्यामुळे जरा खोलगट वाटत होती. मगाशी आरश्यासमोर किस करताना मी तिचा स्कर्ट बेंबीखाली ३-४" ढकलला होता. मी मायाच्या बेंबीत बोट सारुन तिथे खाजवू लागलो. पोट चाचपत राहिलो, मला एकदम मोह झाला होता की भसकन मायाच्या स्कर्टमध्ये हात खुपसावा, पण सावरले कारण मला मायाला अगदी खेळवून खेळवून मग नागवी करायची होती. मला तिला माझ्या अनुभवाने अगतिक करून माझ्या पूर्ण ताब्यात घ्यायची होती. माझ्या व तिच्या वयात खूप अंतर आहे त्यामुळे मला तिला पूर्ण पेट्वूनच घ्यायची होती.

मायाचे पोट चाचपत मी माझे तोंङ तिच्या ङाव्या स्तनावर नेले आणि तिचे निपल ओठात घेवून जिभेनी चाटू लागलो. ङावा हात तिची कंबर दाबत होता. उजवा हात मी तिच्या ङाव्या स्तनावर नेला आणि अंगठा आणि मधल्या बोटानी तिचे निपल चुरु लागलो.

"सी आहाहा अंकल, जरा हलू, आउच" अस माया चित्काराली. त्याचवेली मी तिचे ङावे निपल दातांमधे घेतले आणि जरासे चावले. मायाचे शरीर थरथरले.

"माया बेटी, रिलॅक्स, तू किती चांगली आहेस ग." मी म्हटलो आणि तिच्या गुङघ्यावर उजवा हात नेला व तो हलूवारपणे वर मांङ्याङवर नेला. तिच्या दोन्ही मांङ्या मी पंजाने चाचपू लागलो. चाचपत चाचपत मी हात वर स्कर्टमधे घातला व हलूवारपणे मायाच्या मांङ्या विलग केल्या. तिला मी हलूच पलंगावार ढकलली. तिची पाठ गादीवर टेकली, कुल्ले पलंगाच्याकङेवर होते व पाय मोकले होते.

मी उठून तिच्या समोर कारपेटवर तिचे पाय दूर करून बसलो. नंतर तिचे पाय मी मांङयातून फाकवले, स्कर्ट वर ढकलला. मायाने गुलाबी रंगाची पॅंटी घातली होती. मी मायाच्या मांङ्यावरून जीभ व ओठ फिरवत वर वर सरकवत गेलो. तिच्या मांङ्या थरथरु लागल्या. मी दोन बोटांनी तिची चङ्ङी बाजूस सरकवली आणि तिच्या पुसीचे दर्शन माला झाले.
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चित्रा मावशी, IIT आणि Diwali-A Marathi sexy story

चित्रा मावशी, IIT आणि Diwali



माझी गोष्ट आहे माझी आणि माझ्या मावशीची. कसा मला एक चान्स मिळाला आणि मी तिला झवलो. मला आहेत 2 मावशी आणि 3 मामा. माझी आई सर्वात शेवट. त्यामुळे सर्वांची लाडकी. आता मेन पॉइण्ट वर येतो. माझा झवण्याचा प्रसंग झाला चित्रा मावशी संगे. मी बारवीत तेव्हा झाला हा प्रसंग.
चित्रा मावशी एक 44-45 वर्षाची बाई . फिगर एक नंबर. आंब्यासारके स्त्न, कलिंगड सरकी गांड आणि जबरदस्त कंबर. तिला 3 मुले. रंग रूपाने ती होती सावळी पण सुबक व नक्षीदार चेहरा. मला कधी तिचे आकर्षण नव्हते किवा तिचा मनात विचार पण नव्हता. पण एक रात्री तिच्या संघे झोपलो आणि मला माझ्या सेक्स ची जाणीव झाली. हा सगळा प्रकार दिवलीच्या भावभीज च्या रात्री झाला.
बारावी असल्या मुळे मी अभ्यासात गर्ग होतो. त्यात इईट ची त्यारी. पूर्वी IITची एग्ज़ॅम दोन स्टेज मध्ये होयची. सक्रीनिंग आणि मेन एग्ज़ॅम. त्यामुळे मी खूप स्ट्रेस मध्ये अस्यचो. सक्रीनिंग पुढच्या आटवड्यात असल्या मुळे दिवाळीचे भान नव्हते. पुस्तक आणि मी, हेच माझे जग.
आई ने सकाळी सांगितले की ममच्या घरी भवबीज ला जाणे आहे. दर वर्षी प्रमाणे सगळे मामा आणि मावशी आणि भावंडे राजू ममच्या घरी जमले. रंगत सोहळा सुरू झाला. सगळे खुश होतेय, फराळ आणि जेवण जोरात चालू होतेय. अभ्यासमुळे मी उशिरा आलो. तो पर्यंत जेवण झाले होतेय सगळयांचे. मी पण जेवण केले. उशीर झाल्यामुळे सगळ्यांनी मुक्काम कार्याचे प्लान केले.
गप्पा मध्ये रात्र रंगली. नंतर झोपचे वेळ झाले. मामा चा फ्लॅट छोटा होता. बेडरूम आणि हॉल फुल्ल झाले. चित्रा मावशीने हॉल आणि बेडरूमची मधली लॉबी मध्ये तिचे अंतरून टाकले. हॉल फुल्ल असल्या मुळे मामी ने मला मावशी जवळ झोपवले. बरेच मंडळी असल्या मुळे तिने आम्हाला सिंगल रझई दिली. आणि अड्जस्ट कर्यला सांगितले.
चित्रा मावशी संगे लहांपणी तिच्या खुशीत झोपलो होतो, पण ते दिवस वेगळे होतेय. मी दमल्यामुळे मला झोपयाचे होते. मी भिंतीला लागून झोपलो आणि मला डोळा लागला. तोड्या वेळाने मावशी भाजूला झोपली. भिंतीला लागून असल्यामुळे मला माझे हालचालीला स्कोप नव्हता. तोडी थंडी असल्यामुळे आणि सिंगल राझई मध्ये मावशी मला बिलगू लागली.
मला जाग आली. मला काही तरी मउ-मउ जाणवले. मी डोळे उगडले तर मावशी एकदम मला चिटकूण होती. तिचे मोट आंबे सारके उरोज माझ्या छाती ला लागले होते. आणि माझा हात तिच्या कंबर वर होता. मला कूस बदल्या ची होती. तिला तोडे सराकवले. कूस बदलून जरा बरे वाटले. तोड्या वेळाने मावशी लागली घोर्याला. त्याने माझी झोप उडाली. मी परत कूस बदली आणि चुकुन तिच्या आंब्या वर हात ठेवून तिला हलवले व तिचे घोरणे थांबले. मी जाणवले की तिचा पदर सरकला होता नुसता ब्लाउस राहिला होता. मला मज़ा वाटली. मी परत तिच्या ब्लाउस वर हात ठेवला. तिच्या स्तणाचे फील ने मी रोमांचित झालो. मनात थोडी भीती पण होती. जरा हिंमत करत डाव्या स्तनावरून उजव्या वर हात सर्कावला. आता बाबूराव पण उसळी घेऊ लागला.
खूप महिने झाले होते अभ्यासामुळे बाबूराव कडे लक्ष्य दिले नव्हते. पण जो प्रकार मी सुरू केला होता बाबूराव एकदम ताट झाला. लॉबी च्या डिम लाइट मध्ये मी मावशी कडे बघू लागलो. मला राहवले नाही आणि परत तिच्या ब्लाउस वर हात फिरवू लागलो. आचनाक मावशी ने कूस बदली, माझा हात तिच्या उजवा स्तनावर होता आणि तो एकदम तिच्या स्तनाखाली आला. दूसर्या क्षणात माझया हातावर तिचा हात आला. रोमांच आणि भीती दोन भावना ने मनात धंगा घातला. आता काय?
हळू हळू मी तिच्या स्तनावर दाब देऊ लागलो. आता माझी हिमत वडली आणि मी तिला बिलगलो . जसा तिला बिलगलो , खाली मला तिचा नितम्ब चा फील येऊ लागला. बाबूराव एकदम उभा. मला राहवले नाही, आणि मी माझा उजवा पाय तिच्या उजवा मांडी वर टाकला. दुसर्या क्षणानत माझी कंबर उचली आणि तिच्या नितम्ब वर तेव्हली. जे फील आला त्याने माझा अंगात एक जोश संचारला. आता मला कसले ही भान नव्हते की हॉल आणि बेडरूम मध्ये लोक झोपली आहेत. मी कमारेतून तिच्या नितम्ब वर जोरात झटका दिला, त्याचवेळी उजवा हाताने तिचे स्त्न डाबलेय आणि मोकळा डावा हातने तिची कंबर उचली. बाबूराव एकदम मग्न झाला. आणि मला एक अनोकी शक्ति संचारित झाल्याचा फील आला.
मावशी एकदम जागी झाले. तिने डोळे उगडले आन् मला जोरात झटका देऊन माझा हात बाजूला केला आणि मला भिंतीकडे ढकले. ती उठली पदर सावरला व पाया वर साडी ओडलि. इकडे तिकडे कानुसा घेतला. माझया कडे पहिले आणि माझया कणखाली लावली. मी स्तभ होतो. राझई अंगावेर् घेतली आणि पडली परत विरूढ दिशेत तोंड करून. मी घाबरलो, वाटले की उद्या सगळ्यां समोर आपला दिवाला निघतो. भिंतीकडे तोंड केले आणि पडलो. झोपल कसली काय, मी उद्या सकाळी होणारे गोष्टी चे वेद लागले.
बराच वेळ गेला. टेन्षन ने मला घाम फुटला. कूस बदलण्याची मला हिमात झाली नाही. डिम लाइट च्या प्रकाशात मे भितीकडे बघत राहिलो. अचानक मावशी ने माझया खांद्या वर हात तेव्हला. तिने मला कूस बदल्या लावली आणि मंद प्रकाशात बघू लागली. मी घाबरलो आणि सॉरी बोलो. तिने मला शुश केले. मी जरा चक्रावलो. तिने माझा उजवा हात घेतला आणि तो तिने तिच्या नितम्ब वर ठेवला. आणि मला खाली ड्कले. मी गांगारलो. एकदम तिने माझे डोके तिच्या स्तनामध्ये ठेवले. तिच्या स्तना मध्ये प्रवेश करता मला स्वर्ग प्राप्ती चा अनुभव झाला. पण मला कुठे माहित हे तर स्वर्गीय सुखाचे सुरवात आहे.
मी क्षणांचा विचार न करता, तिच्या ब्लाउस वर जीभ फिरू लागलो. उजवा हाताने नितम्ब दाबु लागलो. डाव्या हाताने तिची मकमली कंबर जोरात दाबली. मवसीने हळूच फुंकर दिली. मला वाटू लागले ती पण कामातुर झाली. मी तिच्या वक्ष स्थाळहून तोंड काडले आणि तिच्या ओट चे चुंबन घेण्याचे प्रयत्ने केले. पण तिने मला विरोध केला, मी परत प्रयत्ने केले. असफल होऊन मी आदिक उत्तेजित झालो , थोडा जोर लावले आणि तिला पाठीवर पाडले. परत चुंबन घ्याचा प्रयत्न केला. तिने परत मला माघे डकले. मी माझा मोर्चा आता स्तनावर वळवला. उजवा हात नितम्बवरून ब्लाउस वर ठेवला आणि डावा हाताने कंबर भवती माझी पकड आदिक घट केली. उजवा मांडीने तिचे पाय पकडले.
ह्यावेळी सोमयपणे तिचे स्तना दाबू लागलो. तिचे ब्लाउस हुक एक हाती कडण्याच प्रयत्ने केला. मावसी ने जास्त विरोध न करता तिने अलगद पणे हुक कडले आणि ते स्तन मुक्त झाले. आता मी तिचे ब्रा वर करून जोरात दाबू लागलो. जोर इतका वदला की तिने मला जोरात भिंतीकडेह डकले. ती उठली परत आजू बाजू चा कानुसा घेतला, रझाई अंगावर ओडली. मी दोन क्षण श्वास घेतला आणि मग माझे मुख तिचा स्तनाच्या निपल वर लावले आणि स्तन-पान करू लागलो.
स्तनपान नंतेर मी माझी शॉर्ट्स कडली आणि तरवले की आता पुछीची सवारी कार्याची. थोडे वेळ मी मावसीला आलिंगन देऊन पडून राहिलो. बाबुराव आदीच उसळ्या मारत होता, तो एकदम कडक लंड झाला होता. मावशीला मी आता डाव्या अंगा वर केले. तिचा विरोध मावळा होता. हळूच उजवय हाताने तिची साडी फेडण्याचा प्रयत्ना केला, पण परत तिने हात माझा धरला. मी थांबलो, जास्त जबरदस्ती करता एक हाताने स्तन दाबू लागलो आणि माझा लंड तीचया नितम्बवर रगडु लागलो. आता तर मी अंडरवेर पण काडली. ह्यावेळी तिला खाली परकर मध्ये हात घातला आणि साडी वर ओडली. तिची पुढची हालचाल आधी मी माझा लावडा तिच्या गांडीच्या पॅंटी वर ठेवला आणि मागून जोरात मिठी मारली.
आता मावशी चांगलीच माझ्या पकड मध्ये होते. हळू-हळू माझा लावडा मी तिचया पॅंटी वर घासू लागला. आता रागड्याचा स्पीड वाडलआ. आता मी कंबरणे तिच्या गांडि वर धक्के देऊ लागलो. काय तो फील!!!. एक हाताने दाबतोय आणि खाली लावड्याने धक्के देतोय. आवेश इतका वाढला की मावशीच्या पॅंटी वर विर्यची पिचकारी मारली. क्षणात तीच गांड झाली वीर्याने ओली झाली. मावशी आणि मी दोघानी मोठ्याने श्वास घेउ लागलो. थोडा वेळ शांत पडलो. तिने अलगद ची ओली पॅंटी काडली.
मावशी सरळ झोपली, तिला डोळा लागू लागला. मीपण शांत राहिलो. अवतीभवतीचा कानोसा घेतला , हळूच रझाई खाली सरकवली आणि तिच्या स्तनचे दर्शन घेतले. एकदा अलगद कुरवाले. वेळचा काही पता लागत नव्हता. मला काय झोप लागत नव्हती. बाबुराव पण शांत होता. लक्ष्यात आले की पुछी आणि चुंबन घ्याचे राहिले की. ह्या विचारणे बाबुराव उसळी मारू लागला परत.
ह्या वेळी मी जरा थांबलो , मावशी परत घोरु लागली. हळूच परत तिची साडी वर करू लागो. ह्या वेळी प्रयास सोपे होते. साडी कंबर वर आली. हाताने मांडी व पुछीचा अंदाज घेतला. परत थांबलो, आता तिचे पाय हळू हळू फाकू लागलो. योनी-मुख वर हात फिरवू लागलो. काय ते केस ही केस. !! जंगल मध्ये बोट घातले. ठरवले की डाइरेक्ट सवारी करायची. पाय चांगले फाकले होते. मी उठलो हॉल आणि बेडरूमच्या दिशयात पाहिले. ऑल क्लियर !!! अलगदपणे मी मावशीच्या दोन्ही पायात शिरलो आणि माझे लिंग तिच्या योनी मार्गा वर ठेवले. तिला माझे वजन जाणवले. दमल्यामुळे आणि डोळ्यावरची झोपमुळे तिने प्रतिकार केला नाही. दोन्ही हात पाठीवर टाकले. वेळ न घालवता मी डाव्या हाताने माझा लंड तिचा पुछित गुसवला. अद्भुत अनुभव होता तोह. पण तोह पुढे जात नव्हता. इतक्यात उजवा आणि डावा कंबर वर ठेवला आणि एक जोरात dhakka.... आई ..ग .. मावशी ने ..करवली.. मी इकडेतिकडे पाहिले , पटकन चुंबन दिले. दुसरा धक्का द्याचा आधी .. मी लगेच तिच्या दोन्ही मनगट पकडले. माझे तोंड तिच्या तोंडात लॉक केले. दुसरा धक्का... उम्म्म्ह !!! उम्म्ह्ह! उम्ह्ह !!! धक्का वर धक्का...!! आणि मी पण तिच्या पुछिमध्ये विर्याची एक पिचकारी सोडली. आता मी तिचे मनगट सोडले. लगेच तिच्या अंगावरून सरकलो. तिच्यामध्ये शक्ती नव्हते ... तिचा परकर खाली केला.. मोठे श्वास घेत होतो. लंड आजून ताट होता. मावशी शक्तीहीन पडली होती, तिला तिचा डाव्या अंगावर केले आणि तिची साडीवर केली. तिची मांडी सरकवली माझा लंड तिच्या मागून पुछित घातला. आई ग ...करताच मी उजव्या हाताने तिचे तोंड दाबले. ..उम्म्ह !! उम्म्ह !!! उम्म्ह !!..डावा हात कमरे खालून जोरात तिचे स्तन दाबू लागलो आणि मघुन धक्के. शेवटी मी जोर लावून तिच्या गंडी धक्का दिला.... मावशी एकदम हलकी झाली...ह्ह्ह!! ह्ह्ह!! करत दोघे श्वास घेऊ लागलो मी तिला एक चुंबन दिले. आणि दोघे झोपी गेलो.
दुसर्या दिवशी सगळ्याने नसता केला. कालचा प्रकार डोक्यात घोळत होता... माझे लक्ष मावशी काय बोलते. तिने आई आणि मला बाजूला घेतले. आईला बोली की, "रोहित फार स्ट्रेस मधेय आहे, त्याला रिलॅक्स होण्याची गरज आहे. पुडच्या वीक मधे त्याची IIT सक्रीनिंग आहे. तू त्याला माझ्या कडेह पटव." आई ने एक क्षणात होकार दिला. नंतर तिने मला एकट्याला रूम मधे बोलवले. माझ्या कडे बगत एक खणाखाली दिली. चित्रा मावशी बोली, " रोहित, मी समजू शकतेय, ह्या व्यात आकर्षण असतेय. पण सध्या तुला कॅरियर म्हत्वाचे आहे. लक्ष विचिलित होऊन चालनेर . तू कॅरियर कर , आणि लाइफमधेय तुला खूप सेक्स चे मोक्के मिळतील. पण कॅरियर चान्स एकदाच. तू माझ्या कडे चल. मी लक्ष देणार जातीपूरक की तू फक्त अभ्यास करणार." असे बोलून तिने मला मिठी मारली.
http://marathifontsexstories.blogspot.in/2016/11/iit-diwali.html
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गीता भाभी ने चोदना सिखाया- A Hindi sEx Story

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गीता भाभी ने चोदना सिखाया

प्रेषक : पल्लव राज़
दोस्तो।
मैं पल्लव ३२ साल का हूं और यह कहानी तब की है जब मैं २५ साल का था।
मैं दसवीं के विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ाया करता था। मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता था, पति-पत्नी, उनकी 5 लड़कियाँ, एक लड़का और बच्चों के दादा। बड़ी लड़की दसवीं में पढ़ती थी। आदमी दिल्ली में नौकरी करता था।
मुझे ट्यूशन पढ़ाते देख गीता भाभी ने मुझे अपने घर बुलाया और कहा -मेरी बेटी की दसवीं की परीक्षा है, घर की हालत ठीक नहीं है, क्या आप उसको कभी कभार दस-बीस मिनट कभी भी शाम को या रात में थोड़ा पढ़ा देंगे?
मैंने कहा- हाँ ! क्यों नहीं ! कल से ही आ जाउंगा।
दूसरे दिन फ़िर उसने मुझे कहा तो रात को मैं उनके घर चला गया, थोड़ी देर पढ़ाया और चला आया। फ़िए मैं रोज़ जाने लगा। पढ़ाई के समय गीता भाभी हमारे पास ही बैठती थी।
एक रात जब मैं पढ़ा रहा था तो गीता ने अपनी बेटी के सामने ही कहा- आप बहुत थक जाते होंगे, लाईये मैं आपके पैर दबा दूं !
पता नहीं क्यों मैं भी इन्कार ना कर सका और वो मेरे पैर दबाने लगी। मेरे शरीर में कुछ हलचल सी होने लगी। थोड़ी देर में मैं वहाँ से चला आया पर रात भर नींद नहीं आई क्योंकि पहली बार किसी औरत ने मेरे बदन को छुआ था।
अगले दिन से वो रोज़ मेरे पाँव दबाने लगी, पर उसका हाथ धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगा। एक दिन वो जिद करके तेल लगाने लगी। उस समय मैं उसकी बेटी को बायोलोज़ी पढ़ा रहा था। अचानक वो मेरे लण्ड पर तेल लगाने लगी। मेरा लण्ड खड़ा हो गया।जब मैंने उसकी ओर देखा तो वो मुस्कुराने लगी। जब मैंने आने लगा तो उसने कहा कि पेट दर्द की कोई दवाई हो तो देना।
करीब ९ बजे मैं दवाई देने गया तो दरवाज़ा खुला था, गीता के ससुर सोए हुए थे, मेर हाथ पकड़ कर वो मुझे अपने कमरे में ले गई। बच्चे दूसरे कमरे में सोए हुए थे। उसने भीतर से दरवाज़ बन्द किया और तेल लेकर आई और बोली- उस समय ठीक से लगा नहीं पाई थी। वो तेल लगाने लगी पर कुछ देर बाद तेल के बहाने वो मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मेरा लण्ड तो पूरा खड़ा हो गया। मेरी सहनशक्ति समाप्त हो गई। मैंने उसे बाहों में कस कर जकड़ लिया और धीरे धीरे उसे बिछावन पर ले गया।
बिछवन पर जाते ही उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं भी कुछ नहीं बोला। वो साली मेरा लण्ड खाने को बेताब थी ही। उसने सहलाते सहलाते मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। लण्ड चूसते हुए वो अपनी कमर भी ऊपर नीचे कर रही थी। मैं तो जैसे ज़न्नत में था। मेरे मुंह से ओह! भाभी और जोर से ! ओह गीता ओह ! मेरी रानी और तेज़ ! जैसे शब्द निकल रहे थे। उसकी कमर ऊपर नीचे होती देख मैंने पूछा- भाभी ! यह क्या कर रही हो, तो उसने झट मेरा हाथ पकड़ कर अपनी बुर पर रख दिया। उससे पानी निकल रहा था।
अब उसने मेरी उंगली अपनी बुर में जोर से ठेल दी। उंगली घुसते ही उसने ज़ोर से ओह! कहा और बोला- देवरजी एक और घुसा दो और तेजी से अन्दर बाहर करो और मेरी बुर को चोदो।
मैंने पूछा- क्या इसे ही चुदाई कहते हैं?
तब उसने कहा- देवर जी ! तुम पढ़ाई में तो काफ़ी तेज़ हो पर चुदाई में निरे बुद्धू हो। यह तो तुम उंगली से चोद रहे हो, पर जब तुम अपना यह मोटा हथियार मेरी बुर में घुसाओगे तब होगी असली चुदाई। अप्र वो सब बाद में। अभी तो तुम 69 की अवस्था में होअक्र उंगली ही अन्दर बाहर करो।
मैं वैसा ही करने लगा। वो सेक्स के जोश में गंदी गंदी बातें कहने लगी। मैं पेल रहा था और वो कहती जा रही थी- जोर से और जोर से मेरे राज़ा ! मेरे पति ने तो कभी ऐसे प्यार ही नहीं किया, साला सिर्फ़ लण्ड पर तेल मालिश करवाता है। जब लण्ड खड़ा होता तो मेरे गर्म ना होते हुए भी लण्ड मेरी बुर में घुसा देता है और अपना धात जल्दी ही गिरा कर सो जाता है। इस भौंसड़ी बुर ने भी छः कैलेण्डर निकाल दिए पर इसकी आग शान्त नहीं हुई। पर राज़ा तुम नादान हो, जैसा मैं कहती हूँ वैसा करो, तुम चुदाई सीख जाओगे। मैं तुम्हारा लण्ड चूस कर इस पर तेल लगा कर घोड़े जैसा बना दूंगी, फ़िर उस घुड़लण्ड से रोज़ चुदवाउंगी।
इतना कह कर गीता ने फ़िर मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया। मैं भी अपनी उत्तेज़ना में उसकी बुर में अपनी तीन उंगली तेजी से घुसा निकाल रहा था, पर छः बच्चों के जन्म ने उस्की बुर का भौन्सड़ा बना दिया था। अतः उंगली कहाँ जाती, पता ही नहीं चलता। वो वाह रे मेरे राज़ा ! तेजी से करो, जैसे शब्द कह कर शान्त पड़ गई, वो झड़ गई।
इतने में मैंने कहा- भाभी ! मेरे भीतर से कुछ निकलने वाला है !
इतना सुन कर उसने मेरे लण्ड को मुंह से निकाला और हाथ से मेरे लण्ड को आगे पीछे करने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। कुछ ही देर में मेरे लण्ड से फ़व्वारा निकला और उसकी साड़ी पर गिरा। उसने हंसते हुए कहा कि देवरजी सारी साड़ी खराब कर दी ना ! अब नई साड़ी ला कर देना। पर कोई बात नहीं, अब तो मेरी साड़ी रोज़ खराब होनी है, क्योंकि जब तक तेरे भैया नहीं आ जाते, मैं तो तुमसे रोज़ चुदवाउंगी, तुझे चुदाई में होशियार कर दूंगी। पर उनके आने के बाद भी मुझे छोड़ना नहीं, उनका लण्ड तो पुराना हो गया है पर तेरा तो जवान है। मैं समय निकाल कर तुमसे जरूर चुदवाउंगी। इतना कह कर वो बाहर गई, पानी लाई और मेरा लण्ड साफ़ किया और फ़िर से उसे चूसने लगी। तो मैंने कहा- अभी जाने दो, कल आउंगा।
उसने कहा- ठीक है ! कल तुम्हें असली चुदाई सिखाउंगी और मज़ा दूंगी।
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चाची के साथ सुहागरात -Hindi sexy stories|

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चाची के साथ सुहागरात -Hindi sexy stories|

दोस्तो! मैं राज आगरा से। एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं। १० साल पहले जब मैं १८ साल का था, मेरे दूर के रिश्ते में चाचा चाची बरेली में रहते थे। एक दिन पता चला कि वो हमेशा के लिये आगरा में आ गये हैं। मै और घर के सभी लोग उनसे मिलने गये। लगभग १० साल पहले उनकी लव मैरिज हुई थी पर कोइ बच्चा नहीं हुआ। चाची कि उमर ३० साल होगी। मैने चाची को देखा तो देखता ही रह गया। लम्बी, गोरी चिटटी चाची का भरा बदन, चौड़ी कमर, बाहर निकले उत्तेजक हिप्स और ब्लाउज से बाहर झांकते बड़े-बड़े स्तन मेरे मन में हलचल मचाने लगे। मेरे मन में उनको नंगा देखने और चोदने का ख्याल आने लगा।
मेरे चाचा अपना व्यापार करने की सोच रहे थे। मै अक्सर उनके घर आया जाया करता था। मै चाची से खूब घुल मिल गया था और वो भी मेरा काफ़ी खयाल रखती थी। एक दिन चाचा को बाहर जाना था तो चाची बोली कि उन्हें रात को अकेले में डर लगेगा। चाचा ने मेरि मां से बात की तो मां ने मुझे कहा कि तुम रात को चाची के पास सो जाया करो।
मैं रात को ९ बजे चाची के पास पहुंच गया। चाची बोली- राज! तुम्हारे लिए अलग बिस्तर लगायें या तुम मेरे साथ ही सो जाओगे? मैने कहा - जैसा आप ठीक समझें। मैं तो कहीं भी सो जाउन्गा। चाची बोली- तो तुम इसी बिस्तर पर सो जाना। फ़िर चाची अपने काम में लग गयी। रात को १० बजे चाची कमरे में आयी और साड़ी उतारते हुए बोली - राज, तुम अखबार पढ रहे हो, मैं सो रही हूं, जब तुम्हें नीन्द आये तुम सो जाना। थोड़ी देर में मैने लाईट बंद की और लेट गया। मुझे नींद नहीं आ रही थी। काफ़ी देर बाद चाची उठकर लाईट जला कर बाथरूम गयी और वापिस आकर लेट गयी। मैं जाग रहा था लेकिन आंखे बंद करके लेटा था।
कुछ देर बाद चाची बोली - राज तुम सो रहे हो? मैने अचानक जगने का बहाना किया और बोला क्या हुआ चाची?
चाची एक दम मुझ से लिपट गयी और बोली मुझे डर लग रहा है। मैने कहा- डर कैसा? पर मुझे करंट सा लगा जब उनके बूब्स मेरी छती से छुये। उनकी एक टांग मेरे उपर थी। मैने भी उनकी टांग पर एक पैर रख दिया और उनकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा- सो जाओ चाची। चाची धीरे धीरे मेरी बाहों मे सिमटती जा रही थी और मुझे मजा आ रहा था। धीरे से मैने उनके हिप्स पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा। चाची को मजा आ रहा था। फ़िर चाची सीधी लेट गयी और मेरा हाथ अपने पेट पर रखते हुए कहा कि तुम मुझ से चिपट कर सोना, मुझे डर लग रहा है। अब मै भी उनसे चिपट गया और उनके बूब्स पर सिर रख लिया। मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था। मै धीरे धीरे उनका पेट औए फ़िर जांघ सहलाने लगा।
तभी चाची ने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये यह कह कर कि बहुत गर्मी लग रही है। अब उनके निप्पल साफ़ नज़र आ रहे थे। मैने बूब्स पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा। अब मेरी हिम्मत बढ चुकी थी। मैने उनके बूब्स को ब्लौज से निकाल कर मुंह मे ले लिया और दोनो हाथों से पकड़ कर मसलते हुए उनका पेटीकोट अपने पैर से उपर करना शुरु कर दिया। वह बोली-क्या कर रहे हो? मैने जोश में कहा- चाची आज मत रोको मुझे। उनकी गोरी गोरी जांघों को देख कर मै एक दम जोश मे आ चुका था। उनकी चूत नशीली लग रही थी। मैने उनकी चूत को चाटना शुरु कर दिया।मै पागल हो चुका था।
मैने अपने पैर चाची के सिर की तरफ़ कर लिये थे। चाची ने भी मेरि नेकर को नीचे कर लिया और मेरा लन्ड निकाल कर चूसने लगी। वह मुझे भरपूर मजा दे रही रही थी। कुछ देर बाद चाची मेरे उपर आ गयी और मै नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े हिप्स सहलाने लगा। चाची की चूत पानी छोड़ गयी। अब मै और नहीं रह सकता था, मै उठा और चाची को लिटा कर, उनकी टांगें चौड़ी करके चूत में लन्ड डाल दिया और चाची कराहने लगी। मै जोर जोर से धक्के लगाने लगा। चाची ने मुझे कस के पकड़ लिया और कहने लगी- राज एसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मै तुम्हारी हो गयी, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लन्ड अपनी चूत में चहिये एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा। कुछ देर बाद मेरे लन्ड ने पानी छोड़ दिया और चाची भी कई बार डिस्चार्ज हो चुकी थी।
उस रात मैने तीन बार अलग अलग ऐन्गल से चाची को चोदा। चाची ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया। तब से जब भी चाचा बाहर जाते तो हम दोनो रात को खूब मजे करते। हमारा यह रिश्ता दो साल तक चला। इसी बीच चाची ने एक लड़का और एक लड़की को जन्म दिया। चाची ये दोनो मेरे ही बच्चे बताती हैं और यह बात कोइ और नहीं जानता।
कैसी लगी मेरी सच्ची कहानी !
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Nanad aur Devar Ke Saath

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Nanad aur Devar Ke Saath 

Mera nam hai Kailash. Mein dehati ladaki hun, high school tak padhi hui. Meri shadi do saal pahale hui hai. Mere pati Gangadhar kissan hai. Vo 22 saal ke hein ar mein 18 saal ki. Ghar men ham dono hi hein, un ke mata pita kai saalon se gujar gayen hein. Aaj mein aap ko meri niji kahani sunaane jaa rahi hun.

Chhoti umar se hi muze sex ka bhan tha. Ham dehati bachchhe bachpan se hi gaay, bhens, kutte vagerah pranion ki chudai dekh paate hein. Mere pitaji ke ghar kai gaayen thi. Vo jab chudavane ke liye heat men aati thi tab hamara naukar saand le aata tha. Bachpan se hi meine saand ka patala lamba lund gaay ki chut men aaa jaata dekha tha. Das saal ki umra tak aise sex dekhane se muze khuchh nahin hota tha. Badhati umra ke saat gaay ki chudai dekh mein uttejit hoti chali thi.

Baarah saal men meri mahvari shuru hui tab meri badi bahan ne muze vo kaha jo mein janati thi. Us ne kaha ki pati jo kare vo karane dena, paanv lambe rakh kar sote rahana. Mere sine par bade bade stan ubhar aaye the aur nitamb bhari chaude ho gaye the. Bhos par kale ghungharale baal nikal aaye the. Usi saal meri mangani Gangadhar se ho gayi. Pahali baar vo hamare ghar aaye aur ham mile tab Ganga ne meri kachchi chuchiyan sahalayi thi, mera hath thm kar apana lund pakada diya tha. Muze gudgudl ho gai thi. Itane men jiji na aa jati to us din mein avashya chud jati.

Kheir, 16 saal ki umr men shadi kar ke mein sasural aayi. Pahali raat hi mere pati ne muze jis tarah choda ye mein kabhi bhul na paaungi. Aadha ghante tak chuma chati aur stan se khilvad kiya, bhos sahalayi, mere hath se lund sahalavaya baad men chut men dala. Yoni patal tuta tab dard to hua lekin chudavane ke aavesh men malum na pada. Ek ghante tak chali chudai ke dauran mein do baar zadi. Aaj bhi vo muze aise chodate hein ki jaise hamari suhaag raat ho. Ham dono ek duje se khub pyaar karate hein. Hamare bich samazauta hua hai ki vo man chahe vo ladaki ko chod sake aur mein koi bhi mard se chudava sakun. Lekin aisa ab tak hua nahin tha.

Shadi ke do saal baad mere pati ke ek dur ke chacha kai saal Afrika rah kar vapas laute. Un ke parivar men ek ladaka tha, Paresh, meri umar ka aur ek ladaki thi, Madhavi jo do saal chhoti thi. Afrika men vo bhai bahan residential school men padhe the. Chacha naya ghar banava rahe the, us dauran vo sab hamare makan men thahare.

Paresh aur Madhavi bade pyaare the. Un ke saath meri achchhi ban gayi thi. Naye ghar men jaane ke baad bhi ve roj mere ghar aate the aur duniya bhar ki baaten karate the. Meine dekha ki un dono kafi hushiyar the lekin sex ke bare men bilkul agyaat the. Paresh manata tha ki ladaki ke munh se ladake ka munh lagane se bachcha paida hota hai. Madhavi kuchh jyada janati thi lekin use pata nahin tha ki chudai kaise ki jati hai.

Ek din Gangadhar ko dusare gaanv jana hua. Itane bade makan men rat ko akele rahane se muze dar lagata tha. Meine Paresh aur Madhavi ko sone ke liye bula liye, chacha chachi ki manjuri saath.

Raat ka khana kha kar ham taash khelane lage. Paresh ne rani dali us par meine raja dala. Madhavi sharamati hui hasi aur boli, "Rani par raja chad gaya, ab bachcha hoga." Paresh : Kya bakvas karati ho ? Madhavi : Tu nahin samajega. Hai na bhabhi ? Mein : Ye to taash hai. Is men bachcha kachcha kuchh nahin hota.

Bazi aage chali. Madhavi ki rani par meine ghulam dala. Madhavi fir boli : Bhabhi, rani par ghulam chadega to raja use maar dalega. Paresh ab gsse ho gaya, panne faink diye aur bola : Ye kya chadane utarane ki chala rakkhi hai ? Meine use shant kiya. Munh chhupaye Madhavi has rahi thi. Vo boli : Bhaiya, bhabhi se kaho to bachcha kaise paida ho ta hai. Paresh chup raha. Meine dhire se puchha : Kaho to sahi, mein jaanun to. Paresh ne Madhavi se kaha : Chibavali, tu hi bata de na, hushiyar kahin ki Madhavi ke sharm aur hasi samate na the, Paresh ka gussa samata na tha. Meine kaha : Madhavi tu hi bata. Sar zuka kar, daanton men ungali dal kar vo boli : Bhiya kahate hein ki ladaka ladaki ka hath pakad kar munh se munh lagata hai tab bachcha paida hota hai. Mein : Aur tum kys kahatiho ? Madhavi ne munh fer liya aur boli : Nahin batati, muze sharm aati hai. Ab Paresh bola : Mein kahun. Vo kahati hai ki jab ladaki par ladaka chadata hai tab bachcha hota hai. Kya ye sach hai bhabhi ? Mein : Sach to hai lekin pura nahin. Madhavi, janati ho ki upar chad kar ladaka kya karata hai ? Sar hila kar Madhavi ne ha kahi aur boli : Chodata hai. Ye sun kar Paresh avaak ho gaya. Fir bola : Madhavi ganda boli. Mein samaj gayi ki dono men se kisi ko pata nahin tha ki chodana kya hai. Mein ; Janati ho chodana kya hota hai ? Madhavi : Ek duje ke muh se munh milate hein. Paresh : Vo to mein kab ka kah raha hun. Mein : Ruko.Munh se munh lagata hai chudai men, lekin is se jyada or kuchh bhi hota hai. Madhavi : Bhabhi tum batao na.. Bade bhaiya tume roj?roj..chodate honge na ? Paresh : Madho, tum bahut ganda bolati ho. Madhavi : Tume kya ? Tum bhi bolo. Mein : Zagado mat. Ab kaun batayega ki ladaka aur ladaki men fark kya hai ? Paresh : Ladake ko daadi muchh hote hein aur ladaki ke sine par chuchiyan. Mein : Sahi. Lekin mukhya fark kaun sa hai ? Madhavi : Jaanghen bich ladaki ki piki hoti hai aur ladake ki nunni. Mein : Barabar. Jab vo bade hotehein tab use bhos aur lauda kahate hein.

Itani baat hote hote ham tino uttejit hote chale the. Madhavi bar bar apani nikar thik karane ke bahane apani bhos khujal leti thi. Paresh ke tatar lund ne pajama ka tambu bana diya tha.

Meine aage kaha : Jab chodane ka dil hota hai tab aadami ka lauda tan kar lamba, mota aur kada ho jata hai. Ladaki ki bhos gili ho jati hai. Aadami apana kada lauda jise lund bhi kahate hein use ladaki ki chut men daal kar andar bahar karata hai. Ise chodana kahate hein. Madhavi : Aisa kyun karate hein ? Mein : Aisa karane men bahut maja aata hai aur aadami ka viry ladki ki chut men girata hai.Viry men purush bij hota hai jo ladaki ke stri-bij saath mil jata hai aur naya bachcha ban jata hai. Madhavi : Bhabhi dekho, bhaiya ka ?.vo khada ho gaya hai. Paresh : Tuze kya ? Bhabhi, ek bat bataun ? Mera to ro raat ko khada ho jata hai. Us men kuchh bura to nahin na ? Mein : Kuchh bura nahin. Khada bhi hota hoga aur swapn dekh kar viry bhi nikalata hoga. Paresh : Bhabhi, Madhu ke aage kyun?.? Mein : Ab un ki bari hai. Madhu, tuze mahavrishuru ho gayi hogi. Niche bhos par baal uge hein ? Madhavi ne sar hila kar ha kahi. Mein : Tu ungali se khelati ho na ? Fir sar hila kar ha. Mein :Tune lund dekha hai kabhi ? Sharama kar nicha dekh kar us ne na kahi Meina : Paresh, tune kabbhi chuchiyan dekhi hain ? Us ne na kahi. Mein : Aisa karate hein, Madhavi tu tere stan dikha aur Paresh tu lund dikha. Paresh : Tu kya dikhayegi, bhabhi ? Mein : Men bhos dikhaungi. Paresh, pahale tum. Paresh ne pajama kho niche sarakaya. Lund ke paani se us ki nicker gili ho gai thi. Vo jara khichakaya to Madhavi ne haath lambaya. Paresh turant hat gaya aur nicker utar di.

Kya lund tha us ka ? Saat inch lamba aur do inch mota hoga. Dandi ek dam sidhi thi. Mattha bada tha aur topi se dhaka hua tha. Chikana paani se lund gila tha. Madhavi aashchary se dekhati rahi. Paresh ko meine dhakel kar leta diya aur us ke haath hata kar lund pakad liya. Mere chute hi lund ne thumaka lagaya. Velvet men lipata lohe ka danda jaisa us ka lund tha, bada pyaara ha.

Mein : Maadhu, ye lund ki topi chad sakati hai aur mattha khula kiya ja sakata hai. Dekh. Meine topi chadai to lund se smegma ki badboo aayi. Meine kaha : Paresh, nahate samay us ko saaf karate nahin ho ? Aisa ganda lund se kaun chudavayegi ? Ja, saaf kar aa. Paresh bathroom men gaya.

Mein : Madhavi, pasand aya Paresh ka lund ? Achchha hai na ? Madhavi : Mein use chhu sakati hun ? Mein : Kyun nahin ? Lekin chudava nahi sakogi.. Madhavi : Kyun nahin ? Mere paas bhos jo hai ? Mein : Sahi,lekin bhai bahan aapas men chudai nahin karate.

Itane men Paresh aa gaya. Thanda paani se dhone se lund jara narm pada tha. Meine Paresh ko fir leta diya. Lund pakad kar topi chada di. Bada mashroom jaisa chikana mattha khul gaya. Meine halakae haath se muth maari to lund fir se tan gaya. Meine puchha : Maja aata hai na ? Paresh : Khub majaa aata hai bhabhi, rukana mat. Meine hole hole muth marati rahi aur boli : Madhavi, kurti khol aur stan dikha. Madhavi khub sharamayi, palat kar khadi ho gayi. Us ne kurti ke hook khol diye lekin khule padakhon se stan dhake rakh samane hui. Lund chhod meine Madhavi ke haath hataye aur kurti utar di. Us ne bra pahani nahin thi, javann stan khule hue.

Umar ke hisaab se Madhavi ke stan kafi bade the, sampurn gol aur kade. Patali najuk chamadi ke niche khun ki nili nasen dikhai de rahi thi. Ek inch ki areola jara si upasi aayi thi. Bich men kismis ke daane jaisi choti si nipple thi. Excitement se us vakt nipple kadi ho gai thi ji se stan nokdar lagata tha. Stan dekh kar Paresh ka lund ne thmaka liya aur kuchh jyada tan gaya. Vo bola : Mein chhu sakata hun ? Mein : Na, bahan ke stan bhai nahin chhuta. Paresh : Bhabhi, tu to meri bahan nahin ho. Tere stan dikha aur chhu ne de.

Mein bhi chahati thi ki koi meri chuchiyan dabaye aur masale. Meine choli utar di. Vo dono dekhate hi rah gaye. Mere stan bhi sundar hein, lekin shadi ke baad jara zuk gaye hein. Meri areola badi hai par nipples abhi chhoti hai. Meri nipples bahut sensitive hai. Gangadhar use chute hai ki meri bhos pani bahana shuru kar deti hai. Chodate hue vo jab munh men liye chusate hein tab muze zadane men der nahin lagati.

Bina kuchh kahe Paresh ne stan par haath firaya. Turane meri nipple kadi ho gayi. Us ne hatheli se nipple ko ragada. Stan ke niche hath rakh kar uthaya jaise vajan napata ho. Mere badan men zurzuti fail gayi. Us ke haath par hath rakh kar meine mere stan dabaye. Aage sikhana na pada, Paresh ne bedardi se stan masal dale. Meri bhos paani bahane lagi.

Mere dimag men chudavane ka khayal aaya ki kisi ne darvaja khitkhitaya. Fata fat kapade pahana kar un dono ko sula diye aur meine ja kar darvaja khola. Samane khade the Gangadhar. Mein : Aap ? Abhi kaise aa sake ? Ganga : Ek gadi aa rahi thi, jagah mil gayi. Mein : Achchha hua, Chaliye, khana kha lijiye.

Muze aagosh men lete hue vo bole : Khana baad men khayenge pahale jara pyar kar len. Mein kuchh bolun is se phale unhon ne mere hoton se hot chipaka diye. Kapade utare bina muze palang par patak di. Kiss karate karate ghaghari upar uthai aur nicker khinch utari. Mein un ko kabhi chudai ki na nahin kahati hun. Meine jaanghen pasari aur vo upar aa gaye. Un ka lund khada hi tha. Ghachch se chut men ghused diya. Muze bolane ka mauka hi na diya, ghacha ghachch, ghacha ghachch jor jor se chodane lage. Pandrah bis dhakke bad vo dhire pade aur lambe aur gahare dhkke se chodane lage. S..r..r..r..rrrr lund andar, s?r?r?r.. Bahar. Thodi der chudai ka maja le kar mein boli : Ghar men mehman hein. Chudai ruk gai. Vo bole : Mehman ? Kaun mehman ?

Meine Paresh aur Madhavi ke bare men bataya aur kaha : Vo shayad jagate honge.

Ghabada kar Ganaga utar ne lage. Meine rok diya : Un dono ko chudai dikhani jaruri hai. Mein un ko bula leti hun. Ganga : Are, vo to abhi bachchen hein, chacha, chachi kya kahenge ? Mein : Tum fikar na karo. Do din pahale chachi ne muz se kaha tha ki un dono ko chudai ke bare men shikhsa dun. Ganga : Kyun ? Mein : Baat aisi hui ki chachi ke mayake men ek nayi dulhan ko us ke pati ne pahli raat aise choda ki us ki chut fat gayi. Ladaki ko ispital le gaye lekin bacha na sake. Khun bah jane se ladaki mar gayi. Ye sun kar chachi ghabada gayi hai ki kahin Madhavi ko aisa na ho. Is liye vo chahati hai ki ham unhen chudai ki sahi shiksha de. Jarurat lage to us ki zilli bhi tod de. Vaise bhi vo dono kuchh nahin janate. Ganga : Bula lun un ko ?

Paresh aur Mdhavi ko bulane ki jarurat na thi. Vo darvaje men khade the. Ganga ko meine utar ne na diya. Un ka lund jara narm pada tha, meine chut sikod kar dabaya to fir kada ho gaya. Vo chodane lage. Chudai ke dhakke khate khate meine kaha : Ma..maa?madhavi?t?tum?.ooohhh, siiii, tum aur Pa?Pa?paresh yahan..aa?aa?kar, Ganga jara dhi..dhire?uuuii ?tum dekho. Vo palang ke paas aa gaye. Ganga hathon ke bal upar uthe jis se hamare pet bich se dekha ja sake ki lund kaise chut men ata jaata hai. Madhavi khade khade ek hath se apana stan masal rahi thi, dusara bhos par laga hua tha. Paresh hole hole muth maar raha tha. Ganga mere kan men bole : Dekha paresh ka lund ? Aisa kar, tu un se chudava le. Mein Madhavi saath khelata hun. Mein ; Madhavi ko chodana nahin. Ganga : Na, na. Chut men lund dale bina svaad chakhaunga.

Ganga utare. Un ka aath inch lamba gila lund dekh Madhavi sharamayi. Us ne muskurate hue munh fer liya. Paresh ka lund pakad kar meine puchha : Parresh, chodana hai na ?

Bin bole vo meri jnghen bich aa gaya. Lund pakad kar dhakke mar ne laga. Vo itana jaldi men tha ki lund bhos par idhar udhar takarya lekin use chut ka munh na mila. Bahar hi bhos par zad jaay us se pahale meine lund pakad kar chut par dhar diya. Ek hi dhakke se pura lund chut men utar gaya. Aage sikhane ki jarurat na rahi/ Dhana dhan, ghacha ghachch dhakke se vo muze chodane laga.

Udhar Ganga Madhavi lo god men liye baithe the. Madhavi ne apana munh us ke sine men chhupa dia tha. Ganga ka ek haath stan sahala raha tha aur dusara nicker men ghusa hua tha. Bar bar Madhavi chatpata jaati thi ar Ganga ka nicker vala hath pakad letithi. Mere khayal se Ganga us ki clitoris chhed rahe the. Itanae men Ganga ne Madhavi ka hath pakad kar lund par rakh diya. Pahale to zatake se Madhavi ne hath hata liya lekin jab Ganga ne fir pakdaya tab maatr ungaliyon se chhua, pakada nahin. Ganga bole : Maadho, mutthi men pakad, mitha lagega. Kuchh anaakaani ke baad Madhavi ki mutthi ne lund pakad liya. Ganga ke dikhane mutabik vo hole hole muth mar ne lagi.

Madhavi ka chahera utha kar Ganga ne munh par chumban kiya. Mein dekh sakati th ki Ganga ne apani jibh se Madhavi ke hoth chaate aut khole. Meine Paresh ko ye najara dikhaya. Apani bahan ke stan par Ganga ka hath aur bahan ke hath men Ganga ka lund dekh Parersh ki uttejana badh gayi. Ghach ghachch, ghachc ghachch tej dahakke se chodane laga. Achanak mein zad gayi.

Gangadhar ka kam mshkil tha lekin vo saburi se kam lete the. Madhavi ab sharamaye bina lund pakade muth maar rahi thti. Us ke munh se siskariyan nikal padati thi aue nitamb dolane lage the.

Idhar tej raftar se dhakke de kar Paresh zada. Thodi der tak vo muz par pada raha aur baad men utara. Us ka lund abhi bhi tatar tha. Mein Madhavi ke paas gayi. Ganga ko hata kar meine Madhavi ko god men liya. Mein palang ki dhar par baithi aur meine Madhavi ki jaanghen chaudi pakad rakkhi. Us ki gili gili bhos khuli hui.

Madhavi solah saal ki thi lekin us ki bhos meri bhos jaisi badi thi. Unchi mons par aur bade hoth ke bahari hisse par kale ghungharale zant the. Bade hoth mote the, bade santare ki faad jaise aur ek duje se sate hue. Bich ki darar chaar inch lambi hogi. Clitoris ek inch lambi aur moti thi. Us vakt vo kadi hui thi aur bade hoth ke agale kone men se bahar nikal aayi thi. Ganga farsh par baith gaye. Dono hath ke anguthe se us ne bhos ke bade hoth chaude kiye aur bhos kholi. Andar ka komal gulabi hissa najar andaj hua. Chhote hoth patale the lekin suje hue the. Chut ka munh sikuda hua tha aur kam ras se gila tha. Ganga ki ungali jab clitoris par lagi tab Madhavi kud padi. Meine pichhe se us ke stan tham liye aur nipples masal dali. Ganga ab bhos chatane lage. Bhos ke hoth chaude pakade hue usne clitoris ko jibh se ragda. Saath saath jaa sake itani ek ungali chut men dal kar andar bahar karane lage. Madhavi ko orgasm hone men der na lagi. Us ka sara bdan akad gaya, roen khade ho gaye, aankhen mich gagyi aur munhse aur chut se paani nikal pada. Halaki si kampan badan men fail gayi. Orgasm bis second chala. Madhavi behosh si ho gayi.

Meine use palang par sulaya. Thodi der baad vo hosh men aayi. Vo boli : Bhabhi, kya ho gaya muze ? Gangadhar : Bitiya, jo hua ise angreji men orgasm kahate hein. Maja aaya ki nahin ? Madhavi : Bahut maja aaya, abhi bhi aa raha hai. Niche piki men fat fat ho raha hai. Kya tumane muze choda ? Gangadhar : Na, choda nahin hai, tu abhi kanvari hi ho. Ab mein kuchh nahin sunanae chahata. Tum dono chup chap so jaao aur aaram karo. Paresh : Aap kya karenge ? Mein : Hamari baki rahi chudai puri karenge. Paresh : Mein dekhunga.Ye muze sone nahin dega. Paresh ne apana lund dikhaya jo vakai pura tan gaya tha. Madhavi letirahi aur karvat badal kar hamen dekh ne lagi.

Mein farsh par chit let gayi. Ganga ne meri janghen itani uthai ki mere ghutane mere kanon se lag gaye. Ghachch sa ek dhakke se us ne pura lund chut men ghused diya. Ham dono kafi uttejit ho gaye the. Ghacha ghachch, ghacha ghachch dhakke se vo chodane lage. Chut sikod kar mein lund ko bhinsati rahi. Bis pachis talle baad Ganga utare aur zat pat muze char paanv kar di, ghodi ki tarah. Vo pichhe se chade. Jaisa us ne lund chut men dala ki muze orgasm ho gaya. Vo lekin ruke nahin, dhakke marate rahe. Das baarah dhakke ke bad meri kamar pakad kar us ne lund ko chut ki gaharai men ghused diya aur puchch, puchch pichakariyan laga kar zade. Muze dusara orgasm hua. Meri yoni un ke viry se chalak gayi. Mein farsh par chapat ho gayi. Thodi der tak ham pade rahe, baad men jaa kar safai kar aaye.

Madhavi baith gai thi Vo boli : Bhabhi, Paresh ne meri piki dekh li par apana lund dekhane nahin deta. Gangadhar : Koi baat nahin,Beta, mera dekh le. Kailaash, tu hi dikha. Ganga let gaye. Ek or mein baithi dusasri or Madhavi. Paresh bagal men khada dekhanae laga.

Ek hath men lauda pakad kar meine kaha :Ye hai dandi, ye hai mattha. Yun to mattha topi se dhaka rahata hai. Chut men paisate vakt topi upar chad jaati hai aur nanga mattha chut ki divaron sath ghis pata hai. Ye jagah jahan topi matthe se chipki hui hai us ko frenum bolate hein. Ladaki ki clitoris ki tarah frenum bhi bahut sensitive hai. Ye hai laure ka munh jahan se pisab aur viry nikal pata hai.

Laure ki opi uapar niche kar ke mein aage boli : Muth maarate vakt topi se kam lete hein. Lund munh men bhi liya jata hai. Dekh, aise?.. Meine laure ka mattha munh men liya aur chusa. Turant vo akad ne laga. Madhavi : Mein pakadun ? Gangadhar : Jaroor pakado. Dil chahe to munh men bhi le sakati ho. Aadha tana hua laura Madhavi ne hath men liya ki vo pura tan gaya. Us ki akadai dekh Madhavi ko hasi a gayi. Vo boli : Mere hath men gudgudi hoti hai. Meine lund munh se nikala aur kaha : Munh men le, maja aayega. Sar zuka kar darate darate Madhavi ne lund munh men liya. Meine kaha : Kuchh karaana nahin, jibh aur tallu ke bich mattha dabaye rakkh. Jab vo thumak lagaye tab chusana shuru kar dena. Madhavi sthir ho gayi. Paresh ye sab dekh raha tha aur muth maar raha tha. Vo bola : Bhabhi, mein Maadho ki chuchiyan pakadun ? Muze bahut achchhi lagati hai. Gangadhar : Halake hath se pakad aur dhire se sahala, dabna mat. Stan abhi kachche hein, dabaane se dard hoga. Madhavi Ganga ka lund mnh men liye aage zuki thi. Paresh us ke pichhe khada ho gaya. Hathelion men dono stan bhar ke sahalane laga. Vo bola : Bhabhi, Maadho ke stan kade hein aur nipples bhi chhoti chhoti hai. Tere stan in se bade hein aur nipples bhi badi hein. Mein bagal men khadi thi. Mera ek hath Paresh ka lund pakade muth maar raha tha. Dusara hath Madhavi ki clitoris se khel raha tha. Clitoris ke spandan se muze pata chal ki Madhavi bahut uttejit ho gayi thi aur dusare orgasm ke liye taiyar thi Achanak munh se lnd nikal kar vo khadi ho gayi. Apane hath se bhos ragadati hui boli : Bade bhaiya, chod dalo muze, varana mein mar jaaungi. Ganga : Pagali, tu abhi kam umar ki ho. Madhavi : Dekhiye, mein solah saal ki hun lekin meri chut puri vikasit hai aur lund lene kabil hai. Bhabhi, tm ne pahali baar chudavaya tab tum bhi solah saal ki hi thi na ? Ganga : Fir bhi, tu meri chhoti bahan ho Madhavi : Sahi, lekin aap chahate hein ki mein kisi or ke paas jaaun aur chudavaun ? Ganga : Bete, chahe kuchh kaho, tere mai baap kya kahenge hamen ? Madhavi ne gusse men paanv patake aur boli : Achchha, to mein chalati hun ghar ko. Paresh, chal. Ghar jaa ke tu muze chod lena. Ganga : Ari pagali, jara soch vichar kar aage chal. Munh latakaye vo boli : Bhabhi ne Paresh ko chodane diya kyun ki vo ladka hai. Mera kya kasur ? Muz se ab raha nahin jata. Paresh na bolega to kisi naukar se chudava lungi. Madhavi rone lagi. Meine use shant kiya aur kaha : Ghar jane ki jaroorat nahin hai itani raat ko. Tere bhaiya tume jaroor chodenge

Itane men fir se daravaja khitkhitane ki aavaj aayi. Fata fat taash khelate ho aisa mahol bana diya. Meine ja kar darvaja khola. Samane chachi khadi thi. Andar aa kar us ne darvaja band kiya aur bol : Sab thik to hai na ? Mein : Vo aa gaye hein. Un dono ne kafi kuchh dekh liya hai. Ek musibat hai lekin. Chachi : Kya musibat hai ? Mein : Paresh se to vo?vo?karava liya, samaj gayi na ? Ab Madhavi bhi maang rahi hai. Chachi : To pareshani kis baat ki hai ? Tuze to malun hoga ki Gangadhar zilli todane men kaisa hai. Mein : Un ki hushiyari ki baat hi na karen. Kaun jaane kahan se sikh aaye hai taknik. Chachi : Bas to mein chalati hun. Gangadhar se kahana ki saburi se kam le.

Chachi chali gayi. Mein andar aayi to dekha ki Madhavi Ganga se lipati hui leti thi. Us ki ek jaangh sidhi thi, dusari Ganga ke pet par padi thi. Us ki bhos Ganga ke lund saath sati hui thi. Un ke munh French kiss en jud gaye the. Ganga ka hath Madhavi ki pith aur nitamb shala raha tha. Kursi men baitha Paresh dekh raha tha aur muth maar raha tha. Ab nishchit tha ki kya honevala tha. Meine ishare se Ganga ko aage badhane ka sanket de diya. Mein Paresh ke paas gayi. Us ko utha kar mein kursi men baith gayi aur us ko god men aise bithaya ki ham Ganga aur Madhavi ko dekh sake. Paresh ka lund meine janghen chaudi kar chut men le liya.

Udhar chit lete hue Ganga par Madhavi savar ho gayi thi, jaise ghode par. Ganga ka lund sidha pet par pada tha. Chaudi ki hui jaanghon ke bich madhavi ki bhos lund ke saath sat gayi thi. Chut men paithe bina lund bhos ki darar men fit baith gaya tha. Apane nitamb aage pichhe kar ke Madhavi apani bhos lund se ghis rahi thi. Madhavi ke har dhakke par us ki clitoris lund se ragadi ja rah thi aur lund ki topi chad utar hoti rahati thi. Bhos aur lund kam ras se tar-b-tar ho gaye the. Vo Ganga ke sine par baahen tika kar aage zuki hui thi aur aankhen band kiye siskariyan kar rahi thi. Ganga us ke stan sahala rahe the aur kadi nipples ko masal rahe the.

Thodi der men vo thak gayi. Ganga ke sine par dhal padi. Apani bahon men use jakad kar Ganga palate aur upar aa gaye. Madhavi ne jaanghen chaudi kar apane paanv Ganga ki kamar se lipataye, baahen gale se lipatayi. Bhos ki darar men sidha lund rakh kar Ganga dhakke dene lage, chut men lund dale bina. Madhavi ki clitoris achchhi tarah ragadi gayi tab vo chatpatane lagi. Ganga bole : Madhavi bitiya, ye aakhari ghadi hai. Abhi bhi samay hai. Na kahe to utar jaaun.

Madhavi boli nahin. Ganga ko joron se jakad liya. Vo samaj gaye. Ganga ab baith gaye. Topi utar kar lund ka mattha dhak diya. Ek hath se bhos ke hoth chaude kiye aur dusare hath se lund pakad kar chut ke munh par rakh diya. Ek halaka dabav diya to mattha sarakata hua chut men ghusa aur yoni patal tak ja kar ruk gaya. Gnnga ruke. Lund pakad kar gol gol ghumaya, ho sake itana andar bahar kiya. Chut ka munh jara khula aur lund ka mattha asaani se andar aane jaane laga. Ab lund ko chut ke munh men fasa kar Ganga ne lund chhod diya aur vo Madhavi upar let gaye. Us ne Mahavi ka munh French kiss se seal kar diya, dono hath se nitamb pakade aur kamar ka ek zataka aisa maara ki zilli tod aadha lund chut men ghus gaya. Dard se Madhavi chhatpatayi aur us ke munh se chikh nikal padi jo Ganga ne apane munh me zel li. Ganga ruk gaye.

Ganga ko dekh Paresh bhi dhakka laga ne laga. Ham kursi men the isi liye adha lund hi chut men ja sakata tha. Paresh ko hata kar mein farsh par aa gayi aur jaanghen faila kar use fir mere upar le liya. Tej raftar se Paresh muze chodane laga.

Udhar Madhavi shant hui tab Ganga ne puchha : Kaisa hai ab dard? Madhavi ne Ganga ke kan men kuchh kaha jo mein sun nahin payi. Ganga ne lekin apani kamar se us ke paanv chhudaye aur itane upar utha lie ki ghutanen kan tak ja pahunchi. Madhavi ke nitamb addhar hue. Ganga ki chaudi jaanghen bich se Madhavi ki bhos aur us men fasa hua Ganga ka lund saaf dikhane lage. Aadha lund ab tak bahar tha jo Ganga dhire dhire chut men pel ne lage. Thoda andar thodda bahar aise karate karate do chaar inch jyada andar ghus paya lekin pura nahin. Ab Ganga ne vo taknik aajamaayi jo mere saath suhaag raat ko aajamaayi thi.

Us ne hole se lund bahar khincha s..r..r..r..r kar ke. Akela mattha jab andar rah gaya tab vo ruke. Lund ne thumaka lagaya to matthe ne or mota ho kar chut ka munh jayda chauda kar rakkha. Madhavi ko jara dard hua aur us ke munh se siskari nikal padi. Is baar Ganga ruke nahin. S..r.r..r..r..r.r kar ke us ne lund fir se chut men dala. Aakhari do inch sarukha to baki hi rah gaya, ja na saka. Baad men Ganga ne bataya ki Madhavi ki chut pura lund le sake itani gahari nahin thi. Us ko ija na lag jaay aise savadhani se chodana jaruri tha. Ye to achchha hua ki Madhavi ki pahali chudai Ganga ne ki, varna chachi ki dehshat hakikat men badal jaati.

Yahan Paresh aur mein zad chuke the, Paresh ka lund narm hota chala tha. Ganga halake, dhirre aur gahare dhakke se Madhavi ko chodane lage. Madhavi ke nitamb dol ne lage the. Lund chut ki puchch puchch avaj ke saath Madhavi ki siskariyan aur Ganga ki aahen gunj rahi thi. Paresh : Bhabhi, dekh, bhos ke hoth kaise lund se chipak gaye hein ? Bade bhaiya ka lund mota hai na ? Mein : Devarji, tumara bhi kuchh kam nahin hai.

Ganga ke dhakke ab aniyamit hote chale the. S..r..r..r.r ke bajay kabhi kabhi ghachch se lund ghused dete the. Lagata tha ki Ganga zad ne se najadik aa gaye the. Madhavi lekin itani taiyaar nahin thi. Us ne khud raasta nikal liya. Apane hi hath se clitoris ragad dali aur chhatpatati hui zadi. Ganga sthir the lekin Madhavi ke chutad aise hilate the ki lund chut men aaya jaaya karata tha. Madhavi ka orgasm shant hua is ke baad tej raftar se dhakke mar kar Ganga zade aur utare. Karvat badal kar Madhavi so gai. Safai ke baad ham sab so gaye.

Dusare din jaage tab Paresh ne ek or chudai maagi muz se. Ganga ne bhi anurodh kiya. Mein kya karati ? Das minit ki mast chudai ho gai. Paresh ki khushi samati na hati. Sharm ki maari Madhavi kisi se najar mila nahin pati thi. Fir bhi Gaanag ne use bulaya to us ke paas chali gayi. Gale men baahen daal god men baith gayi. Ganga ne chum kar puchha : Kaisa hai dard ? Nind aayi barabar ? Sharama kar us ne apana munh chhupa diya Ganga ke sine men. Kan men kuchh boli. Ganga : Na, abhi nahin. Do din tak kuchh nahin. Chut ka ghaav ruz jaay is ke baad. Lekin Madhavi jaisi hathili ladaki kahan kisi ka sunati hai ? Vo Ganga ka munh chumati rahi aur lund tatolati rahi. Ganga bhi rahe javan aadami, kya kare bechara ? Utha kar vo Madhavi ko andar le gaye aur aadhe ghante tak choda.

Us raat ke bad vo bhai bahan aksar hamare ghar aate rahe aur chudai ka maja lete rahe. Jab school khuli tab unhen shahar men jana pada. Mein ur Gangadhar intezar kar rahe hein ki kab vacation pade aur vo dono ghar aaye. Aakhir naye naye lund se chudavane men aur nayi nayi chut ko chodane men koi anokha aanand aata hai. Hai na ?



The End   
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मेरी सुहागरात की कहानी मेरी जुबानी-Hindi sex Story

मेरी सुहागरात की कहानी मेरी जुबानी

आप लोगों ने मेरे द्वारा पोस्ट किये गए हर थ्रेड को काफी सराहा है और हमेशा मेरा उत्साहवर्धन किया है,

मेरी शादी अभी नहीं हुयी है, अगले साल फरवरी में होनी है, पर मन में कई सारी बातें हैं जो कि सुहागरात और उसके बाद होने वाले हसीं पलों से सम्बंधित होती हैं.

यह कहानी जो मैं यहाँ लिखने जा रही हूँ, वो कल्पना से लिखी गयी है, इसका मेरी निजी जिंदगी से कोई सम्बन्ध नहीं है. पर मैंने पूरी कोशिश की है कहानी के हर पल को मैं जीते हुए लिखूं जिससे की उस में जान आ जाए. जोकि मेरे कई प्रशंषकों को पसंद है.

चलिए अब ज्यादा इन्तजार नहीं करते हैं , कहानी पड़ते हैं....अगर अच्छी लगे तो आपको पता ही है की क्या करना होता है...!!??
वो मेरी सुहागरात थी और लडकियां और भाभियाँ मेरे को फूलो से सजे हुए कमरे में छोड़ कर चली गयी. शादी के बाद की थकान में महसूस कर पा रही थी, इसलिए मैंने नहाने का सोचा. इसलिए मेने जल्दी से नहा ली और एक साड़ी पहन कर फिर से तैयार हो गयी. जैसे की आप सभी जानते ही होंगे की सुहाग रात की एहमियत बहुत होती है एक पति और पत्नी के लिए. मैं यह भी जानती थी की वो भी मेरी तरह कुंवारे (virgin) थे.

जैसे ही मैं पलंग पर बैठी मेरे पति रोहित कमरे में आ गए. उनके शारीर में से चन्दन, गुलाब और पर्फियुम की महक आ रही थी. मैं थोडी सी घबरा रही थी जैसे ही वो मेरे पास आये, मैं उठकर खड़ी हो गयी. वो भी पलंग पर मेरे साथ बैठ गए और हमने शादी से सम्बंधित बातें की, और जो गिफ्ट्स हमें मिले थे उनके बारे में. और फिर बड़े प्यार से उन्होंने मेरे से पूछा, "क्या मैं तुम्हे किस कर सकता हूँ?"

और वो खड़े हुए और मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेरे गाल पर किस किया और फिर मेरे बहुत नजदीक आकर बैठ गए. और बैठने के बाद उन्होंने मेरी आँखों को भी किस किया और मेरे को बताया कि इस दिन का वो जब से इन्तजार कर रहे थे जबसे कि वो मुझसे पहली बार मिले थे.

उन्होंने मेरे हाथों को अपने हाथों में लेकर मेरे से पुछा कि क्या मैं थकी हुयी महसूस कर रही हूँ? अगर ऐसा है तो मैं सो सकती हूँ. जिसे सुनकर मेने एक मुस्कराहट के साथ यह कहकर जवाब दिया कि अगर वो भी थके हो तो हम सो जाते हैं..!!

यह सुनकर उन्होंने मुझे आँख मारी और मुस्कुराते हुए मेरे नजदीक आकर मुझे फिर से किस करने लगे. मैं व्याकुलता महसूस कर रही थी और वैसे भी यह उनका पहला किस नहीं था. ऐसा वो पहले भी कर चुके थे. हमारी सगाई के बाद, जब भी हम अकेले होते थे, चाहे घर पर या कहीं भी जहाँ हम साथ घूमने जाते थे. पर शादी के बाद किया जाने वाला किस पता नहीं क्या जादू करता है...जिसे कि मैं शब्दों में व्याख्यान नहीं कर सकती. मैं अपनी सुहागरात को लेकर बड़ी उत्सुक थी और न जाने मेरे मन में क्या क्या चल रहा था...!!

हम लोग एक दुसरे को किस करने लगे थे. उन्होंने मेरी पींठ, कमर पर अपनी उंगलियाँ फेरनी शुरू कर दी थीं. मेरे हाथ उनके कन्धों पर थे और मैं उनको अपनी और धकेल रही थी.
मैंने महसूस किया की उन्ही जीभ मेरे होंठों में से मेरे मुह में अन्दर जाना चाह रही थी. मेरे होंठों को खोलती हुयी जीभ मेरे मुह में चली गयी और उसी बीच उनके हाथ मेरे पल्लू में से होते हुए मेरी पीन्थ, कमर पर होते हुए मेरे स्तनों पर पहुँच गया.

उनका हाथ मेरे ब्लाऊज के ऊपर से मेरे स्तनों को दबा रहा था. मेरी आँखें पूरी तरह से बंद थी. और मैं उनके हर प्रयास को अनुभव कर रही थी और उसका पूरा मजा ले रही थी. जब उन्होंने मेरे कपडे उतारने शुरू किये तो मैं बहुत उत्तेजित थी, कि आज मैं पहली बार किसी लड़के के सामने बिना कपडों के होने वाली थी. आज तक मम्मी ने भी मेरे को बिना कपडों के नहीं देखा था. जब मैं चौदह पन्द्रह साल की थी तब भी नहाते समय मम्मी की अगर मदद सर धोने में लेती थी तो भी या तो मैं टोवल लपेटी होती थी या ब्रा और पैंटी पहनी होती थी. और तो और आज एक पुरुष को पूर्ण नग्न देखने का मौका मिलने वाला था.

उन्होंने मेरे पल्लू को मेरे कन्धों से हटाया और वो एक तरफ गिर गया, साथ ही साड़ी का दूसरा हिस्सा जो पेटीकोट में घुसा हुआ होता है, उसे भी बाहर की तरफ खींच कर निकाल दिया और साड़ी पूरी तरह से निकाल दी. मैं उनके सामने पेटीकोट और ब्लाउज में खड़ी थी. उन्होंने एक बार फिर से मुझे अपनी बाहों में भर लिया और हम दोनों एक दुसरे की आँखों में देखने लगे और साथ ही उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए.
और फिर उन्होंने उसे मेरे कन्धों पर से होते हुए उतार दिया. अब मैं नरम और सेटिन की ब्रा में थी जिसमे मेरे स्तन पूरी तरह फिट थे और बाहर आने को आतुर थे. उन्होंने मुझे पलंग की तरफ चलने को कहा और हम दोनों पलंग पर साथ साथ लेट गए. फिर उन्होंने मेरी ब्रा के भी हूक खोल दिए और मेरे स्तनों पर से उसे हटा दिया. मेरे चुचुक (निप्पल) उत्तेजना से खड़े हो चुके थे. उनके हाथों ने मेरे स्तनों को अपनी हथेलियों में भरा और उन्हें किस करने लगे. उन्होंने मेरे स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया. हम दोनों की साँसे तेज तेज चलने लगी.

वो मेरी निप्पल के साथ खेल रहे थे. वो मेरे स्तनों को देखे जा रहे थे और मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था. उन्होंने एक निप्पल अपने मुह में रखा और उसे चूसने लगे. हे भगवान्....नहीं बता सकती की उस पल क्या अनुभूति हुयी. फिर उन्होंने दुसरे निप्पल को किस किया और उसे भी चूसना शुरू कर दिया. मेने अपना सर उत्तेजना और आनंद के मारे पीछे की और कर लिया थी.

वो बार बार मेरे बाएँ और दायें निप्पल को चूसना जारी करे रहे जब तक की मेरे पूरे शरीर में एक आग सी न लग गयी.पहली बार कोई ऐसा मेरे साथ कर रहा था. तभी पता नहीं क्या हुआ, मेरे शरीर में एक उफान सा आया और मैं निढाल सी हो गयी और मुझे मेरी योनी में गीलापन सा महसूस हुआ. वो मेरा पहला ओर्गास्म था उस सुहागरात में और मुझे लगा कि मेने अपनी पैंटी में पेशाब कर लिया है. मैं बहुत शर्मिंदगी महसूस करने लगी.
वो समझ गए और उन्होंने पुछा, "क्या हुआ, क्या तुम्हे ओर्गास्म हुआ ?"

"यह क्या था? मुझे लगा कि मेने पेशाब कर दिया.", मैंने पूछा.

"नहीं..तुम्हे जरूर ही ओर्गास्म हुआ होगा..", उन्होंने जवाब दिया.

फिर उन्होंने मेरे स्तनों पर से अपने हाथ नीचे की और बदाये और मेरे पेटीकोट पर पहुँच गए. उन्होंने पेटीकोट का नाडा खोल दिया और उनकी उँगलियों का मेरी पैंटी पर स्पर्श हुआ और मेरे बदन में सिरहन दौड़ गयी. वो मेरी कमर पर किस कर रहे थे और फिर मेरी नाम हो रखी पैंटी पर भी किस किया. उन्होंने पीछे से मेरे हिप्स को पकडा और अपने चेहरे को मेरी पैंटी से सटा डाला और उसे चूमने लगे. उन्होंने धीरे से अपनी उंगलियाँ मेरी पैंटी के की इलास्टिक में डाली और धीरे धीरे उसे नीचे करना शुरू कर दिया. मेरी योनी प्रदेश के बाल नजर आने लगे थे. और मेने अपनी टाँगे फैला दी जिससे की उन्हें आसानी हो सके. फिर मेने अपने एक पैर को ऊपर किया और फिर दूसरा जिससे की उन्होंने मेरी पैंटी भी उतार दी.

तब रोहित को लगा कि उन्होंने अपने कपडे तो उतारे ही नहीं..सो उन्होंने अपने कुरते और पायजामे को उतार दिया और अंडरवियर पहन कर मेरे ऊपर लेट गए. मेरे स्तन उनके सीने के नीचे दबे हुए थे. उनके हाथ मेरे बदन को महसूस कर रहे थे और में अपनी टांगों के बीच गीलापन महसूस कर रही थी.

उनके कहने पर मेने अपना हाथ उनके अंडरवियर पर रखा और...और..मेने उनका कठोर लिंग पकडा. मैंने उसे अपनी उँगलियों में लपेट लिया. वो बहुत बड़ा था. मुझे नहीं पता था कि यह मेरे अन्दर जा भी पायेगा कि नहीं. उनके हिप्स भी हरकत करने लगे थे. वो खड़े हुए और अपना अंडरवियर उतार दिया. उसके बाद उन्होंने मुझे इस तरह लिटा दिया कि मेरी पीन्थ उनकी छाती से लग गयी. उन्होंने अपने दोनों हाथों में मेरे स्तन दबा लिए. हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे और एक दुसरे के शरीर कि महसूस कर रहे थे.
फिर उन्होंने मेरे स्तनों को मसलना शुरू कर दिया. कभी वो मेरी निप्पल को उमेठते तो कभी स्तनों को दबा देते. उसके बाद में सीधी लेट गयी और उन्होंने मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी एक ऊँगली भी मेरी चूत के लिप्स में डाली और अन्दर दाल कर बाहर निकाल ली. फिर उन्होंने मेरी क्लिटोरिस को भी रगड़ दिया. मेरा बुरा हाल था. मेरे मुह से आहे निकल रही थी. में उनकी उँगलियों द्वारा मेरी चूत पर किये जा रहे घर्षण को मजे से महसूस कर रही थी. उन्होंने मेरे से पुछा कि ऊँगली डालने पर दर्द तो नहीं हो रहा?

मैं मन कर दिया, तो उन्होंने दो उंगलियाँ अन्दर डाल दी, और मैंने महसूस किया कि उनकी उँगलियों को अन्दर जाने में कुछ रुकावट आ रही है. उन्होंने ही कहा, "शायद तुम्हारी हायमन है..जो रोक रही है... कोई बात नहीं. फिर वो मुझे चूमने लगे और मेने उनका लिंग फिर से पकड़ लिया. उन्होंने फिर से मेरे गुलाबी निप्पल चूसने शुरू कर दिए.

हम दोनों ही आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो चुके थे. वो मेरी चूत के गीले लिप्स को महसूस कर पा रहे थे. उन्होंने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत के लिप्स पर लगा दी और दबाने लगे जिससे कि उनकी उँगलियों ने मेरी चूत के लिप्स खोलते हुए ऊँगली को अन्दर जाने दिया. वो कुछ देर तक ऐसे ही करते रहे. मुझे अच्छा महसूस हो रहा था और जब भी उनकी ऊँगली मेरी चूत के लिप्स के नजदीक आती थी तो मैं अपनी हिप्स ऊपर उठाकर उसे अन्दर डालने की कोशिश करती.

और आखिर मैं मेरे से रहा नहीं गया और मैं बोल पड़ी, "रोहित. प्लीज मुझे प्यार करो."
"क्या तुम इसके लिए तैयार हो?", उन्होंने पूछा.

"हाँ, मैं पूरी तरह से अब आपकी ही हूँ. मुझे सुहागरात का पूर्ण सुख चाहिए ..", मैंने जवाब दिया.

"देखो, हो सकता है कि तुम्हे थोडा दर्द हो...पर बाद में अच्छा लगेगा.", उन्होंने कहा.

"मैं जानती हूँ. बस आप मुझे प्यार करो.", मैंने बोला.

वो मुस्कुराये और मेरी टांगों के बीच में आ गए. उसके बाद उन्होंने एक हाथ पर अपने शरीर को सँभालते हुए दुसरे हाथ से मेरी चूत के नम लिप्स सहलाने लगे. और फिर कुछ देर ऐसा करने के बाद, उन्होंने अपने हाथों से अपने लिंग को पकडा लिया. मैंने देखा कि वो अपने लिंग को मेरी तरफ ला रहे थे,और मैं लिंग के मुंड को अपनी चूत पर महसूस कर पा रही थी. उन्होंने बहुत ही धीरे से उसे ऊपर से नीचे तक रगडा, जैसे कि सही जगह ढूंढ रहे हो अन्दर डालने के लिए. सही जगह का अनुमान होने पर वो रुक गए. धीरे से वो नीचे की ओर झुके और उनके लिंग ने मेरी चूत में प्रवेश किया.

वो मेरी आँखों में देख रहे थे, की मैं उन्हें संकेत दे सकूँ अगर मुझे दर्द महसूस हो तो. मैंने उनकी छाती पर अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया. उन्होंने धीरे धीरे और अन्दर डालना शुरू किया. फिर वो धीरे से थोडा पीछे आये और फिर अन्दर की ओर बढे.

मैं अपने अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित थी.
यहाँ तक की मैं उनके लिंग को मेरी योनी के दीवारों पर महसूस कर रही थी. एक बार फिर वो पीछे हटे और फिर अन्दर की ओर दवाब दिया. मेरे अन्दर अवरोध महसूस होने लगा था. वो उठे और फिरसे धक्का दिया, ज्यादा गहरायी तक नहीं पर थोडा जोर से.

मुझे पता था कि उनके लिंग को मेरी योनी रस ने भिगो दिया था, जिसकी वजह से उनका लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था. और अगली बार के धक्के में उन्होंने थोडा दवाब बड़ा दिया. मेरी साँसे जल्दी जल्दी आ रही थीं. मैंने अपनी बाहें उनके कंधे पर लपेट दी थीं और मेरे नितम्बो को ऊपर कि ओर उठा दिया. मैंने एक तीव्र चुभन सी महसूस की. रोहित का लिंग मेरी हायमन से टकरा रहा था और जब उसने उसे भेदकर आगे बढ़ना चाहा तो मुझे लगा कि दर्द के मारे मैं मर जाउंगी.

"ओह माँ..." मेरे मुह से निकला. मेरे स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया जैसे ही मेरे पति का गर्म, आकर में बड़ा लिंग पूरी तरह से मेरी गीली हो चुकी योनी में घुस गया. अन्दर, और अन्दर वो चलता गया, मेरी चूत के लिप्स को खुला रखते हुए मेरी क्लिटोरिस को छूता हुआ वो अन्दर तक चला गया था. मेरी योनी मेरे पति के लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी. उधर उनके हिप्स भी कड़े होकर दवाब दे रहे थे और लिंग अन्दर जा रहा था.

मेरी आँखों से आंसू भी निकल आये थे. मैं अपना कौमार्य खो चुकी थी और लिंग मेरे अन्दर था. रोहित रुका और मेरे आंसुओं पर एक निगाह डाली पर मैं नहीं रुकी, मैं अपने हिप्स ऊपर की ओर उठाकर उनके लिंग को और अन्दर तक ले गयी.
हम दोनों के शरीर एक दुसरे से चिपटे हुए थे. हम दोनों एक दुसरे को किस किये जा रहे थे और मेने महसूस किया कि उनके हिप्स आगे पीछे हो रहे हैं धीरे धीरे, और फिर अचानक उन्होंने अपने हिप्स और ऊपर किये जिससे लिंग थोडा बाहर आया और फिर वो अन्दर डालने लगे. इसी तरह उन्होंने एक लय में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. जब जब उनका लिंग मेरी योनी की दीवारों से टकराता हुआ मेरी गहराईयों में जाता तो उसके स्पर्श मात्र से मेरे पूरे शरीर में सनसनाहट दौड़ जाती.

"मैं ज्यादा देर नहीं रुक सकता...मेरा यह पहला समय है..!", उन्होंने कहा.

"मेरे अन्दर ही निकाल दो...मैं भी यही चाहती हूँ". मेने जवाब दिया.

उन्होंने अपनी गति बड़ा दी और बड़ी जल्दी ही उनका वीर्य निकल गया. मैं महसूस कर पा रही थी की मेरे पति के लिंग में से निकल रहा वीर्य मेरी योनी को तर कर रहा था. मैं रोहित से मिलने वाले सुख का पूरा आनंद ले रही थी, मेरा पति, पहली बार....मेरी योनी में अपने वीर्य को उडेल रहा था.

कुछ देर बाद रोहित ने अपने लिंग को मेरी योनी में से बाहर निकाल दिया. वो खून से लाल हो रखा था. चादर पर भी एक लाल धब्बा सा था और मेरी योनी की दीवारें भी खून से सनी थी. कुछ मिनटों तक हम दोनों साथ साथ लेटे रहे. मेरा सर उनके सीने पर था. उन्होंने मेरे से पुछा, "कैसा लगा?". मैंने उन्हें किस किया और कहा, "It was so exciting."

फिर हम लोग बाथरूम में चले गए. अपने आप को साफ़ किया और हमारे इस पहले प्यार की सारी निशानी कमरे में से साफ़ की. फिर लगभग एक घंटे तक हम दोनों नंगे ही रहे और सो गए. अगली सुबह हम उठकर तैयार हुए और बीच बीच में एक दुसरे को चूमते भी रहे.

अगली सुबह रोहित की बहिन हम लोगो को उठाने आयी , मैं शर्मा रही थी और उनसे आँख नहीं मिला पा रही थी. वो समझ गयी और गर्दन हिला कर मुझे चिढाने के अंदाज़ में बोली, "क्यूँ भाभी? भैया ने ज्यादा परेशान तो नहीं किया न?"

मैं कुछ नहीं बोली और शर्मा कर वहां से निकल गयी.


समाप्त

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